
तंत्र साधना क्या है और कैसे करें :- हिंदू धर्म एक विशाल और विविध धार्मिक परंपराओं, दर्शन और साधनाओं का महासागर है। इस महासागर में तंत्र साधना एक ऐसा रहस्यमयी मार्ग है, जिसे समझना और अपनाना आसान नहीं है।
जैसे ही कोई “तंत्र“ शब्द सुनता है, उसके मन में कई भ्रम और डर उत्पन्न हो जाते हैं। क्या यह काली विद्या है? क्या यह अघोरियों का मार्ग है? क्या यह किसी को नुकसान पहुँचाने की क्रिया है? ऐसी तमाम नकारात्मक विचार उसके मन मे घूमने लगते हैं।
लेकिन सत्य इससे बहुत अलग और गहरा है। तंत्र एक दिव्य, शक्तिशाली और आध्यात्मिक पथ है, जो साधक को आत्म-ज्ञान और ब्रह्मज्ञान की ओर ले जाता है। आइए इस ब्लॉग में हम जानते हैं कि तंत्र साधना क्या है, इसकी प्रकृति क्या है, और इसे कैसे करें? यह भी पढ़ें- एक साधू की कहानी जिसने बनाया चमत्कारी ताबीज
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तंत्र साधना का अर्थ क्या है?
तंत्र साधना का अर्थ क्या है? यह प्रश्न प्रत्येक जिज्ञासु साधक के मन में आता ही है, जो शुरु-शुरु में तंत्र जगत की दुनिया में कदम रखता है। उसे दीक्षा देने वाले गुरु भी सर्वप्रथम इसके अर्थ की ही विवेचना करते हैं।
“तंत्र” शब्द दो अक्षरों से मिलकर बना है- “तन्” और “त्र”। “तन्” का तात्पर्य ’तन्यते’ से है, अर्थात फैलाना या विस्तार करना और ’त्र’ का अर्थ ’त्राण करना’ अर्थात रक्षा करना है।
इस प्रकार तंत्र का शाब्दिक अर्थ है- विस्तार का माध्यम या ऐसी व्यवस्था जो जीवन के समस्त पहलुओं को संतुलित और शक्तिशाली बनाए।
तंत्र साधना का अर्थ है- ऐसे विशेष विधि-विधान और नियमों के साथ की गई साधना, जो व्यक्ति की चेतना को उच्च स्तर पर ले जाकर उसे दिव्य शक्तियों से जोड़े। यह साधना किसी विशेष यंत्र, मंत्र और देवता की सहायता से की जाती है, जिसमें विशेष अनुशासन, भावना और एकाग्रता की परम आवश्यकता होती है। यह भी पढ़ें- काला जादू (Black Magic) या टोना टोटका क्या है? जाने 05 रामबाण टोटके जो जिन्दगी बदल देगी
तंत्र साधना की विशेषताएँ
1. गुप्तता – तंत्र का मार्ग गोपनीय होता है। यह हर किसी के लिए नहीं होता, बल्कि योग्य साधक ही इस मार्ग में प्रवेश कर सकता है।
2. नियमबद्धता – इसमें सटीक विधियों का पालन आवश्यक होता है। कोई भी त्रुटि साधना को निष्फल बना सकती है और जान जाने का खतरा भी हो सकता है।
3. मंत्र-यंत्र का प्रयोग – विशेष प्रकार के बीज मंत्र और यंत्र (जैसे श्री यंत्र, काली यंत्र) का प्रयोग साधना का अनिवार्य अंग होता है जो साधना में शिघ्र सिद्धि प्रदान करने में सहायक होते हैं।
4. विशेष देवता – इसमें विशेषतः देवी काली, तारा, भैरव, त्रिपुरसुंदरी आदि शक्तियों की आराधना की जाती है। इस साधना के अन्तर्गत दश महाविद्याओं की साधना मुख्य रूप से की जाती है।
5. आंतरिक जागरण – यह साधना केवल बाहरी क्रिया नहीं है, बल्कि आत्मा की शक्ति को जागृत करने की एक गुह्य प्रक्रिया है, जो बिना योग्य गुरु के मार्गदर्शन में संभव ही नहीं है।
तंत्र साधना के उद्देश्य
तंत्र साधना के दो मुख्य उद्देश्य हैं। इन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति के लिए साधक तंत्र के गहन जगत में प्रवेश करता है और अपने जीवन में आने वाली समस्त न्युनताओं को दूर करते हुए आत्म कल्याण के मार्ग पर प्रशस्त होता है। यह भी पढ़ें- विज्ञान भैरव तंत्र : तंत्र विज्ञान की एक अद्वितीय साधना
1. सांसारिक लाभ – अधिकांश साधक इस क्षेत्र में धन, वैभव, सफलता, शत्रु नाश, आकर्षण, वशीकरण आदि की सफलता के लिए आते हैं।
2. आध्यात्मिक उन्नति – ज्ञानी और उच्चकोटि के साधक आत्मबोध, ब्रह्मज्ञान, चक्र जागरण, कुंडलिनी शक्ति का विकास करके अपने जीवन को दिव्य बनाने एवं अंत में मोक्ष प्राप्ति के लिए इस मार्ग को चुनते हैं।
कुछ लोग तंत्र को केवल सांसारिक उद्देश्यों तक सीमित कर देते हैं, जिससे इसकी छवि नकारात्मक बन जाती है। लेकिन वास्तव में, यह आत्मविकास का अत्यंत शक्तिशाली माध्यम है।
तंत्र साधना के प्रकार
तंत्र साधना के कई प्रकार हैं, जो उद्देश्य और उपास्य देवता के अनुसार विभाजित किए जा सकते हैं। इसमें अलग-अलग देवताओं की उपासना उनके विहित तंत्र विद्या के माध्यम से करते हुए उनकी कृपा प्राप्त की जाती है।
1. शिव तंत्र साधना
यह साधना शिव या भैरव की उपासना के माध्यम से की जाती है। इसमें भैरव कवच, काल भैरव तंत्र, रुद्र तंत्र आदि का प्रयोग होता है।
2. शक्ति तंत्र साधना
इसमें देवी काली, दुर्गा, तारा, त्रिपुरा आदि शक्तियों की उपासना होती है। साथ ही दश महाविद्याओं की उपासना शक्ति तंत्र साधना के अंतर्गत ही आता है। इसमें मुख्य रूप से दो विद्याओं को रखा गया है जिसे ‘श्रीविद्या’ और ’काली विद्या’ के नाम से जाना जाता है।
3. गुप्त तंत्र साधना
यह अत्यंत उच्च स्तर की साधना होती है, जिसमें केवल अनुभवी साधक ही प्रवेश कर सकते हैं। इसमें चक्र साधना, यंत्र स्थापन, और कुंडलिनी जागरण प्रमुख होता है। यह एक गुप्त विद्या है जो केवल गुरु परम्परा से ही प्राप्त होता है।
4. काम्य तंत्र साधना
यह किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति हेतु की जाती है। जैसे- शत्रु नाश, रोग निवारण, व्यापार वृद्धि आदि। अपनी सांसारिक कामनाओं की पूर्ति के लिए साधक काम्य तंत्र साधनाएं करता है।
तंत्र साधना कैसे करें? : प्रारंभिक मार्गदर्शन
तंत्र साधना एक गूढ़ और संवेदनशील प्रक्रिया है। इसे सही मार्गदर्शन और गुरु के बिना करना अनुचित हो सकता है और साधक नकारात्मक शक्तिओं का शिकार भी हो सकता है। फिर भी, कुछ मूलभूत बातें जो एक साधक को जरूर जानना चाहिए, निम्नवत है-
1. गुरु का मार्गदर्शन प्राप्त करें
तंत्र साधना में गुरु का मार्गदर्शन अत्यंत आवश्यक है। बिना गुरु के किए गए प्रयोग खतरनाक और जानलेवा भी हो सकते हैं। गुरु से दीक्षा लेना, विधियों को समझना और उनके अनुसार साधना करना ही उचित होता है।
इस मार्ग की सबसे पहली सीढ़ी है- एक योग्य, अनुभवी एवं तंत्र शास्त्र में पारंगत सच्चे गुरु की प्राप्ति। बिना गुरु के कृपा के कोई भी तंत्र साधना के मार्ग में सफल हो ही नहीं सकता है।
तांत्रिक गुरु से दीक्षा ग्रहण करके ही साधक तंत्र साधना करने का अधिकारी बनता है। बिना दीक्षा के इस मार्ग में कोई एक कदम भी नहीं चल सकता, और चलना भी नहीं चाहिए। क्योंकि तंत्र दूधारी तलवार के समान होता है।
2. साधना स्थल का चयन करें
एक शांत, पवित्र और सुरक्षित स्थान पर ही साधना करें। तंत्र साधना के लिए विशेषकर श्मशान, गुफा, या एकांत स्थान उपयुक्त माने जाते हैं। सिद्ध शक्तिपीठ तंत्र साधनाओं के लिए सबसे उपयुक्त और सिद्धिदायक माना गया है।
3. यंत्र और मंत्र का चयन
साधना के लिए उपयुक्त यंत्र की स्थापना करें और बीज मंत्र का जाप करें। जैसे यदि आप काली साधना कर रहे हैं तो ’क्रीं’ बीज मंत्र के साथ काली यंत्र का उपयोग करें। बीज मंत्रों का जाप गुरु से दीक्षा लेकर उनके मार्गदर्शन में ही करें।
4. नियमों का पालन करें
तंत्र साधना में ब्रह्मचर्य, सात्विक भोजन, संयम, और नियमितता आवश्यक है। साधना के समय कोई भी मानसिक या शारीरिक विकार साधना में विघ्न डाल सकता है। इसलिए तांत्रिक साधना में गुरु द्वारा बताए गये नियमों का पालना करना ही होता है।
5. संकल्प और भावना
हर साधना से पूर्व एक संकल्प लिया जाता है, जिसमें साधक अपने साधना करने के उद्देश्य और श्रद्धा को ईश्वर के समक्ष रखता है। भावना जितनी शुद्ध और गहन होगी, साधना उतनी ही सफल होगी। यह भी पढ़ें- तंत्र क्या है ? प्राचीन तंत्र विद्या के 10 गोपनीय रहस्यमयी बातें
तंत्र साधना से जुड़े भ्रम और वास्तविकता
भ्रम 1ः- तंत्र केवल काली विद्या है
सत्यः- तंत्र विद्या न तो केवल काली है, न ही नकारात्मक। यह देवी-देवताओं की उपासना का मार्ग है, जिसमें प्रकृति की शक्तियों को जाग्रत किया जाता है।
भ्रम 2ः- तंत्र का प्रयोग केवल दूसरों को नुकसान पहुँचाने के लिए होता है
सत्यः- तंत्र का मुख्य उद्देश्य आत्मोन्नति है। अपनी आत्मा का कल्याण करना ही तंत्र का मुख्य उद्देश्य है। हां, कुछ लोग इसका दुरुपयोग करते हैं, लेकिन यह तंत्र की मूल भावना नहीं है।
भ्रम 3ः- तंत्र केवल अघोरियों का मार्ग है
सत्यः- अघोर पंथ, तंत्र का एक अंग हो सकता है, लेकिन तंत्र हर साधक के लिए है। गृहस्थ भी तंत्र साधना कर सकता है और अघोरी सन्यासी भी कर सकता है।
क्या तंत्र साधना हर कोई कर सकता है?
क्या तंत्र साधना हर कोई कर सकता है या नहीं, इस प्रश्न का उत्तर ’हां’ में भी दिया जा सकता है और ’नहीं’ में भी दिया जा सकता है। यदि व्यक्ति में श्रद्धा, निष्ठा, अनुशासन और एकाग्रता है, तो वह तंत्र साधना का अधिकारी है।
और यदि साधक केवल इसे मनोरंजन, तामसिक प्रयोग, दूसरों को हानि पहुंचाने या शक्ति प्रदर्शन के लिए करना चाहता है तो उत्तर है- ’नहीं’।
तंत्र एक शक्ति है, और शक्ति उन्हीं को दी जाती है जो उसका संयम से उपयोग करें। शक्ति को दुरुपयोग करने वाले किंचित मात्र भी तंत्र साधना के अधिकारी नहीं हैं।
तंत्र साधना से क्या लाभ होते हैं?
तंत्र साधना एक ऐसी दुरुह एवं कठिन साधना है, जो गुरु के सही मार्गदर्शन में की जाएं तो सरल एवं सिद्धिदायक हो जाती है। इसके निम्नलिखित लाभ प्राप्त हो सकते हैं-
1. मानसिक एकाग्रता और स्थिरता।
2. आत्मविश्वास और आंतरिक शक्ति में वृद्धि।
3. कुंडलिनी जागरण।
4. भय और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति।
5. लक्ष्यों की पूर्ति में सहायक।
6. आध्यात्मिक प्रगति और आत्मज्ञान की प्राप्ति। यह भी पढ़ें- महाविद्या कवच
निष्कर्षः- तंत्र साधना : शक्ति का सही उपयोग
तंत्र साधना एक दिव्य विज्ञान है, जिसे समझने के लिए केवल पुस्तकीय ज्ञान ही नहीं, अपितु अनुभूति, भक्ति, और साधना की आवश्यकता होती है। यह साधना आपको अपने भीतर छिपी असीम शक्ति से जोड़ती है।
यदि आप तंत्र के रहस्यों को समझना चाहते हैं, तो सबसे पहले अपने भीतर की साधना शुरू करें। अन्दर से अपने आप को पवित्र करें, अपने भावनाओं को दृढ़ करें, अपने इष्ट का सतत ध्यान करें और अपने विवेक का प्रयोग करें।
तंत्र केवल क्रिया नहीं है, यह आत्मा का विज्ञान है, जो हमारे आत्मा में छिपी शक्तिओं से हमे परिचित कराता है और साधारण से असाधारण बनाता है। तंत्र का आश्रय लेकर मनुष्य अनहोनी को भी होनी में परिवर्तित कर सकता है।
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