हिंदू धर्म में तंत्र साधना के प्रकार : जानें 9 रहस्यमयी तांत्रिक विधाएं

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हिंदू धर्म में तंत्र साधना के प्रकार : तंत्र साधना, हिंदू धर्म की सबसे रहस्यमयी और शक्तिशाली आध्यात्मिक परंपराओं में से एक है। यह मार्ग साधक को आत्मज्ञान, सिद्धि और परमचेतना की प्राप्ति की ओर ले जाता है।

हिंदू धर्म की आध्यात्मिक परंपराओं में तंत्र साधना एक अत्यंत रहस्यमयी, शक्तिशाली और गूढ़ मार्ग है, जिसे सही ज्ञान और मार्गदर्शन के साथ अपनाया जाए तो यह साधक को आत्मबोध, सिद्धि और परमशक्ति की प्राप्ति की ओर ले जाता है।

वहीं अगर तंत्र विद्या के प्राप्ति के मार्ग में थोड़ा भी त्रुटि हुई तो साधक के लिए जीवन-मरण की स्थिति भी उत्पन्न हो जाती है। “तंत्र“ शब्द का अर्थ है – विस्तार और मुक्ति का साधन। यह वह विधा है जो नियमों, मंत्रों, यंत्रों और विशेष साधनाओं के माध्यम से मनुष्य की चेतना को ऊर्ध्वगामी बनाती है।

तंत्र साधना का उद्देश्य केवल भौतिक लाभ या चमत्कारिक शक्तियां प्राप्त करना नहीं होता, बल्कि यह एक ऐसी आध्यात्मिक प्रणाली है जो साधक को अपनी आत्मिक ऊर्जा के साथ जोड़ने का माध्यम बनती है। मुख्य रूप से तंत्र साधना की मूल धारण शक्ति एवं शिव के आपसी मिलन से है।

योग की भाषा में कहें तो कुण्डलिनी शक्ति को सहस्त्रार तक ले जाने की प्रक्रिया तंत्र साधना के माध्यम से सम्भव है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे हिंदू धर्म में तंत्र साधना के प्रकार के बारे में और जानेंगे उनके लाभ और उनके पीछे की आध्यात्मिक शक्ति। यह भी पढ़ें- तंत्र साधना क्या है और कैसे करें? : तंत्र विद्या के 10 गोपनीय रहस्य

तंत्र साधना के प्रकार

तंत्र साधना के प्रकार की बात करें तो इसका क्षेत्र बहुत ही विस्तृत है। इसके अन्तर्गत विभिन्न देवी-देवताओं की तांत्रिक विधि से उपासना करके उनका सान्निध्य प्राप्त करते हुए आध्यात्मिक और भौतिक मनोकामनाओं को पूर्ण किया जाता है।

वैसे तो तंत्र साधना का मूल उद्देश्य आत्म जागरण करते हुए अन्ततः मोक्ष की प्राप्ति है। परन्तु साधक तंत्र का आश्रय लेकर अपने भौतिक जीवन के न्युनताओं को दूर करते हुए असाधारण एवं दैवीय जीवन जी सकता है। यहां कुछ विशेष तंत्र साधना के प्रकार का वर्णन किया जा रहा है-

1. श्रीविद्या तंत्र साधना (SHRIVIDYA TANTRA SADHANA)

श्रीविद्या तंत्र साधना को सबसे उच्च कोटि की साधनाओं में गिना जाता है। यह देवी त्रिपुर सुंदरी की उपासना पर आधारित है, जो सम्पूर्ण सृष्टि की अधिष्ठात्री शक्ति हैं। श्रीविद्या में मंत्र, यंत्र (विशेषतः श्री यंत्र) और ध्यान की विधियों से देवी की आराधना की जाती है।

इसमें दस महाविद्याओं का भी विशेष महत्व होता है। श्रीविद्या साधना का उद्देश्य साधक को आत्मसाक्षात्कार और ब्रह्मज्ञान की ओर ले जाना होता है। इस साधना के कुछ मुख्य बिन्दु निम्नवत हैं-

  • देवी त्रिपुर सुंदरी की उपासना।
  • श्री यंत्र और बीज मंत्र का प्रयोग।
  • आत्मसाक्षात्कार और उच्च चेतना की प्राप्ति।

2. कालिका तंत्र साधना (KALIKA TANTRA SADHANA)

कालिका तंत्र साधना के अन्तर्गत महाकाली की तांत्रिक विधि से उपासना की जाती है। महाकाली को तंत्र की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। बिना इनकी कृपा के कोई भी साधना तंत्र साधना के क्षेत्र में सफल हो ही नहीं सकता।

कालिका तंत्र साधना अत्यंत शक्तिशाली मानी जाती है। यह भय, मृत्यु, समय और विनाश की अधिष्ठात्री देवी काली की उपासना है। यह साधना विशेष रूप से उन साधकों के लिए उपयुक्त है जो जीवन में अत्यधिक संघर्ष, भय या बाधाओं का सामना कर रहे हैं।

महाकाली तंत्र में रात्रि साधना, श्मशान साधना और विशेष काली बीज मंत्रों का प्रयोग किया जाता है। यह साधना, साधक को निर्भीक, शक्तिशाली और आंतरिक रूप से मजबूत बनाती है। इस साधना के कुछ मुख्य बिन्दु निम्नवत हैं-

  • मृत्यु, भय और नकारात्मक ऊर्जा पर विजय प्राप्त करना।
  • श्मशान साधना में सिद्ध की प्राप्ति।
  • विशेष काली बीज मंत्रों के प्रयोग से आध्यात्मिक और भौतिक शक्तियों का विकास।

3. भैरव तंत्र साधना (BHAIRAV TANTRA SADHANA)

भैरव, भगवान शिव के रौद्र रूप हैं। भैरव तंत्र साधना में साधक काल भैरव या अष्ट भैरवों की उपासना करता है। यह साधना विशेष रूप से समय और मृत्यु के भय को जीतने के लिए की जाती है। क्योंकि भैरव का अर्थ ही है- ’भय का हरण करने वाला।’ यह भी पढ़ें- एक साधू की कहानी जिसने बनाया चमत्कारी ताबीज

भैरव की साधना से तंत्र में साधक की रक्षा होती है और वह भैरव की कृपा से तंत्र के क्षेत्र में आगे बढ़ने लगता है। यह साधना साधक को मानसिक शक्ति, स्थिरता और गूढ़ रहस्यों को समझने की क्षमता प्रदान करती है। इस साधना के कुछ विशेष बिन्दु निम्नवत हैं-

  • काल भैरव की उपासना।
  • समय, मृत्यु और भय पर नियंत्रण।
  • तांत्रिक त्राटक और रात्रि साधना।

4. बगलामुखी साधना (BAHALAMUKHI SADHANA)

बगला मुखी साधना के अंतर्गत देवी बगलामुखी की तांत्रिक विधि से उपासना की जाती है। देवी बगलामुखी को ’शत्रु-विनाशिनी’ और ’वाक्-स्तम्भिनी’ कहा जाता है। बगलामुखी तंत्र साधना का मुख्य उद्देश्य विरोधियों को शांत करना, शत्रुओं का दमन करना और मुकदमे या वाद-विवाद में विजय प्राप्त करना होता है।

यह पीले वस्त्र, हल्दी, और विशेष बगलामुखी मंत्रों के साथ पीली वस्तुओं से की जाने वाली साधना होती है। इसका प्रयोग न्यायिक मामलों, राजनीति या व्यापार में सफलता के लिए किया जाता है। बगलामुखी से सम्बन्धित कुछ मुख्य बाते निम्नवत हैं-

  • शत्रु स्तंभन और न्यायिक विजय प्राप्त करना।
  • साधना में पीली वस्तुओं और हल्दी का प्रयोग।
  • मंत्रों से विरोधियों पर नियंत्रण।
  • वाक्शक्ति की प्राप्ति।

5. चामुंडा तंत्र साधना (CHAMUNDA TANTRA SADHANA)

चामुंडा देवी तंत्र में अत्यंत उग्र और जागृत शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं। यह साधना उच्च कोटि की होती है और इसे केवल अनुभवी और गुरुकुलीन साधक ही करते हैं। यह साधना विशेष रूप से दुष्ट शक्तियों से सुरक्षा, अघोरी शक्तियों की पहचान और जागृति के लिए की जाती है।

चामुंडा साधना में विशेष चामुंडा कवच, बीज मंत्र और यंत्र का उपयोग किया जाता है। चामुण्डा साधना के कुछ मुख्य बिन्दु निम्नवत हैं-

  • उग्र शक्ति की साधना।
  • तांत्रिक कवच और रक्षण।
  • गूढ़ तांत्रिक रहस्यों की प्राप्ति।

6. अघोर तंत्र साधना (AGHOR TANTRA SADHANA)

अघोर पंथ की तंत्र साधनाएं समाज की सीमाओं से परे मानी जाती हैं। यह साधना श्मशान में, रात्रि के समय, नियमबद्ध रहकर की जाती है। अघोरी साधक मृत्यु, शव, पंचमकार (मांस, मद्य, मीन, मुद्रा, मैथुन) की परंपरा का प्रतीकात्मक उपयोग कर आत्मा की सीमाओं को तोड़ते हैं। यह भी पढ़ें- तंत्र क्या है ? प्राचीन तंत्र विद्या के 10 गोपनीय रहस्यमयी बातें

अघोर तंत्र साधना का उद्देश्य ’अविद्या’ का नाश और ’परब्रह्म’ की प्राप्ति होता है। अघोर साधना बहुत ही विकट एवं दूरुह प्रकृति की साधना होती है। अघोर साधना की कुछ मुख्य बिन्दुएं निम्नवत है-

  • श्मशान साधना, शव साधना।
  • पंचमकार की परंपरा का पालन।
  • परब्रह्म की प्राप्ति और आत्मिक मुक्ति।

7. यंत्र तंत्र साधना (YANTRA TANTRA SADHANA)

तंत्र साधना में यंत्रों का विशेष महत्व है। हर देवी-देवता के लिए एक विशेष यंत्र होता है, जैसे श्री यंत्र, काली यंत्र, बगलामुखी यंत्र आदि। इन यंत्रों को सिद्ध करके साधक उन्हें ध्यान और पूजा के माध्यम से अपनी चेतना से जोड़ता है।

यंत्र तंत्र साधना में भौतिक रूप से कोई देवदर्शन नहीं होता, बल्कि ऊर्जा के माध्यम से साधक अपने इष्ट से संपर्क करता है। यंत्र, सम्बन्धित देवता के विग्रह जैसा होता है और उसके मंत्र को प्राण समझ लो। जब यंत्र में मंत्र रूपी प्राण की प्रतिष्ठा होती है तो वह यंत्र जागृत हो जाता है। यंत्र साधना के कुछ विशेष बिन्दु निम्नवत है-

  • विशेष यंत्रों का उपयोग जैसे श्री यंत्र, काली यंत्र आदि।
  • साधक की ऊर्जा का केंद्रीकरण।
  • यंत्र के समक्ष ध्यान और आराधना द्वारा सिद्धि।

8. सप्तशक्ति साधना (SAPTSHAKTI SADHANA)

महाविद्याएं, हिंदू तंत्र परंपरा की अत्यंत महत्वपूर्ण शाखा हैं। तंत्र शास्त्रों में महाविद्याओं की संख्या दस बताया गया है। यथा- काली, तारा, षोडशी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला। इनमें से सप्तशक्ति साधना विशेष रूप से चुनी गई सात देवियों की साधना है।

यह साधना जीवन के सात दोषों को, जैसे- भय, मोह, क्रोध, लोभ, अहंकार, असुरक्षा और अज्ञानता को नष्ट करने में सहायता करती है। इसके कुछ महत्वपूर्ण बिन्दु निम्नवत हैं-

  • सात महाविद्याओं की उपासना।
  • आत्मिक रुद्धियों का नाश।
  • आंतरिक शक्ति का जागरण।

9. नवदुर्गा तंत्र साधना (NAVADURGA TANTRA SADHANA)

नवरात्रि के अवसर पर देवी दुर्गा के नौ रूपों की विशेष तांत्रिक साधना की जाती है। यह साधना शक्ति की सभी स्त्रोतों को एकत्र कर साधक की ऊर्जा को जागृत करती है। इसमें हवन, जप, ध्यान, और विशेषकर दुर्गा सप्तशती का पाठ शामिल होता है।

यह साधना विशेष रूप से शक्ति, समृद्धि, और रक्षा के लिए की जाती है। इस साधना के द्वारा साधक अपने शक्तियों का जागरण करता है। शरीर में नौ द्वारा कहे गए हैं। नवदुर्गा इन्हीं द्वारों की प्रतीक मानी जाती हैं। नवदुर्गा तंत्र साधना के कुछ विशेष बिन्दु निम्नवत हैं-

  • नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की साधना आराधना।
  • शक्ति प्राप्ति और रक्षा।
  • दुर्गा सप्तशती का पाठ, नवार्ण मंत्र का जप और दशांश हवन।

तंत्र साधना के प्रकार : निष्कर्ष

तंत्र साधना केवल किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति नहीं बल्कि आध्यात्मिक उत्थान और आत्मिक मुक्ति का मार्ग है। सही मार्गदर्शन, गुरु कृपा और पवित्र भावना से की गई तंत्र साधना जीवन में चमत्कारिक परिवर्तन ला सकती है। यह भी पढ़ें- तांत्रिक वस्तुएं : व्यवसाय बंधन मुक्ति का बेजोड़ समाधान

तंत्र साधना के प्रकार का अध्ययन कर एक बात तो स्पष्ट है कि यह एक अत्यंत प्रभावशाली और रहस्यमयी पथ है, जिसे केवल सच्चे श्रद्धा, गुरु-मार्गदर्शन और संयम के साथ ही अपनाना चाहिए।

हर प्रकार की साधना का उद्देश्य साधक को आत्मोन्नति, दिव्य ऊर्जा और ब्रह्म चेतना की ओर ले जाना ही होता है। लेकिन यह भी ध्यान रखना आवश्यक है कि तंत्र कोई जादू या तात्कालिक समाधान नहीं है। यह एक साधना है। एक यात्रा है, जिसमें धैर्य, श्रद्धा और समर्पण परम आवश्यक हैं।

अगर आप भी तंत्र साधना शुरू करने की सोच रहे हैं, तो पहले किसी अनुभवी गुरु से मार्गदर्शन अवश्य लें और पवित्रता, संयम और श्रद्धा का पालन करते हुए आगे पढ़ें। तो दोस्तों! उम्मीद करता हूं कि हिन्दू धर्म में तंत्र साधना के प्रकार ब्लाग आपको अवश्य पसंद आया होगा। अपनी राय कमेंट में जरूर दें।

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