Author name: Tantrik Rahasya

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सर्वांगासन करने की विधि और लाभ

इस आसन से शरीर के सभी अंगों का व्यायाम हो जाता है, इसलिए इस आसन को सर्वांगासन कहते हैं। इस आसन से शरीर के सम्पूर्ण अंगों को बल मिलता है। सर्वांगासन, शीर्षासन के जैसे ही दिखलाई पड़ता है किन्तु इसमें शरीर का मुख्य भार गर्दन, कन्धों तथा भुजाओं पर होता …

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शीर्षासन करने की विधि और लाभ

शीर्ष का अर्थ है मस्तक। मस्तक के सहारे इस आसन को लगाया जाता है, इसिलिए इस आसन को शीर्षासन कहते हैं। शीर्षासन समस्त आसनों से भिन्न आसन है। इस आसन को करने से शरीर की रक्त संचार व्यवस्था सर्वाधिक प्रभावित होती है। इस आसन का अभ्यास करने से पूर्व अनुभवी …

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पवनमुक्तासन करने की विधि और लाभ

पवनमुक्तासन, पेट की प्रदूषित वायु के निष्कासन हेतु पीठ के बल लेटकर किया जाने वाला उत्तम आसन है। यह आसन अन्य आसनों की अपेक्षा सरल एवं करने में आसान है। परन्तु आप ज्यादा मोटे हैं या आपका पेट कुछ ज्यादा ही बाहर निकला है तो यह आसन करने में आपको …

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उत्थित पादासन करने की विधि और लाभ

उत्थित पादासन पैरों, कमर, गुर्दे तथा पेट के लिए बहुत ही अच्छा आसन है। यह आसन सरलता से किया जा सकता है। इस आसन का विशिष्ट बात यह है कि इसमें पैरों को नब्बे डिग्री पर कमर से मोड़कर रखा जाता है जिसमें पैर घुटनों से मुड़ना नहीं चाहिए। इस आसन …

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नाभि आसन करने की विधि और लाभ

नाभि आसन वस्तुतः नाभि के विचलन को दूर करने का आसन है। जब नाभि अपने स्थान से खिसक जाती है तो मनुष्य को विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। नाभि का अपने स्थान से खिसक जाना या विचलित हो जाना केवल शारीरिक रोगों को ही नहीं अपितु …

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आकर्ण धनुरासन करने की विधि और लाभ

आकर्ण धनुरासन भी धनुरासन के समान ही है। धनुष के कमान को जब पकड़कर खींचा जाता है, तब उसमें एक तनाव का बल कार्य करता है। इस आसन में शरीर की मुद्रा को तो खींचे हुए धनुष की आकृति में लाया ही जाता है, साथ ही पेशियों के तनाव का …

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