दुर्गा साधना | Durga Sadhana – एक बार अवश्य करें- जिंदगी बदल जायेगी

Durga Sadhana
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दुर्गा साधना (Durga Sadhana) : मित्रों आज आपके साथ जगत जननी माँ दुर्गा की  एक ऐसी प्रभावकारी साधना प्रस्तुत करने जा रहा हूँ, जिसमें किसी भी प्रकार के अनावश्यक आडम्बर की आवश्यकता नहीं है।

दुर्गा साधना (Durga Sadhana) में आवश्यकता है तो सिर्फ और सिर्फ भक्ति, भाव एवं समर्पण की। भगवती के भक्तों के सामने माँ महामाया की महिमा का गुणगान करने की आवश्यकता नहीं है, वे तो उन्हीं पराम्बा दयामयी माँ भक्तवत्सला में ही हर पल जीते हैं।
माँ दुर्गा के बारे में चिंतन करते हैं, उन्हीं के ध्यान में मग्न रहते हैं। यह साधना ऐसे हीं भक्तों के लिए है। आप भक्तगण इस साधना को अवश्य ही सम्पन्न करिएगा एवं अपना अनुभव हमें जरूर बताइएगा।

दुर्गा साधना (Durga Sadhana) के लिए आवश्यक सामग्री :-

 

मैं पहले ही कह चुका हूं कि इस साधना के लिए किसी भी प्रकार की अनावश्यक आडम्बर की आवश्यकता नहीं है। सामान्य वस्तुएं, जो हम अक्सर साधारण पूजा-पाठ में प्रयोग करते हैं, उन्हीं वस्तुओं की इस साधना में आवश्यकता होगी जो कि निम्नवत है-
    • कोई भी बढिया, सुगन्धित पांच अगरबत्ती।
    • कनेर के 108 पुष्प। यदि कनेर के पुष्प उपलब्ध न हो तो गुड़हल के 108 पुष्प ले लेना। यदि वह भी उपलब्ध न हो तो कोई भी 108 पुष्प ले लेना परन्तु भक्ति भाव रूपी पुष्प अपने हृदय में अवश्य लेकर साधना में बैठना क्योंकि भगवती को भाव से सूखे पत्ते भी चढा दोगे तो वह अवश्य स्वीकार करेगी।
    • घी का दीपक। यदि घी का अभाव हो तो तिल के तेल का दीपक जला लेना।
    • लाल ऊनी आसन।
    • पुष्पांजली हेतु अलग से पुष्प एवं विल्वपत्र।
    • साधना काल में पहनने के लिए स्वच्छ लाल वस्त्र। यदि लाल वस्त्र का अभाव हो तो, जो भी साफ-सुथरा वस्त्र उपलब्ध हो उसको धारण किया जा सकता है। अन्यथा अभाव की स्थिति में नहा धोकर साफ तौलिया लपेट कर नंगे बदन भी साधना में बैठ सकते हैं।

दुर्गा साधना (Durga Sadhana) की विधि

दुर्गा साधना (Durga Sadhana) किसी भी दुर्गाष्टमी के दिन करना तीव्र फलदायी होता है। अतः साधना की शुरुवात किसी भी माह के दुर्गाष्टमी से रात्रि में 11 बजकर 30 मिनट के बाद शुरू करना है।

साधना स्थल कोई शिवालय हो तो अति उत्तम क्योंकि यह दुर्गा साधना शिवलिंग पर ही सम्पन्न करना है, अन्यथा यदि घर पर करना है तो बाणलिंग पर साधना सम्पन्न कर सकते हैं।

यदि बाणलिंग उपलब्ध न हो तो माँ दुर्गा की एक बड़ी सी फोटो लेकर उसे फूल-माला एवं विल्व पत्र से अच्छी तरह श्रींगार करके, उस पर भी साधना सम्पन्न की जा सकती है। परन्तु किसी शिवालय के शिवलिंग या बाणलिंग पर यह साधना करना ज्यादा श्रेयस्कर रहेगा।

दुर्गा साधना (Durga Sadhana) को दुर्गाष्टमी से शुरू करके कुल आठ दिनों तक लगातार करना है।
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दुर्गा साधना (Durga Sadhana) विधानः-  सर्वप्रथम नहा धोकर स्वच्छ आसन बिछा लें। आसन को प्रणाम कर आसन पर बैठ जाएं। तत्पश्चात शिवलिंग अथवा बाणलिंग को शुद्ध जल से स्नान कराकर उनके सामने दीपक और पांच अगरबत्ती जलाकर उन्हें निम्न मंत्र से पुष्पांजली प्रदान करें एवं प्रणाम करें-

 

गुरूः ब्रह्मा गुरूः विष्णु गुरूरदेवो महश्वरः

गुरूरैव परमब्रह्म तस्मैः श्री गुरूवे नमः।

 

तदोपरांत ‘‘या देवी सर्व भुतेषु मातृ रूपेण संस्थिता………….‘‘ मंत्र से माँ दुर्गा को पुष्पांजली प्रदान करें एवं प्रणाम करें। उसके बाद अनन्य भक्ति भाव से जो 108 पुष्प आपने रखा है, उसको ज्ञान मुद्रा से शिवलिंग में भगवती का स्मरण करते हुए, उनके चरणों में निम्न मंत्र पढ-पढ कर एक-एक पुष्प अर्पित करें।

 

मंत्रः- ऊॅ दुं दुर्गायै नमः

 

एक बात अवश्य याद रखें कि पुष्प को ज्ञान मुद्रा से पकड़ कर पहले अपने हृदय से स्पर्श कराते हुए मंत्र पढ़ना है और मंत्र पढ़ कर भगवती के चरणों में अर्पण करे देना है।

 

इस प्रकार 108 बार मंत्र पढ कर 108 पुष्प समर्पित करने के बाद पुनः गुरूदेव एवं भगवती को उपरोक्त बताए गये मंत्रों से पुष्पांजली प्रदान करके एवं उन्हें प्रणाम करके साधना को समाप्त करें।

 

यह साधना निष्काम भाव से करें और प्रतिदिन की साधना कर्म को अपने गुरुदेव के श्रीचरणों में समर्पित कर दें।

 

मित्रों  इस दुर्गा साधना (Durga Sadhana) विधान को संम्पन्न करके अपने अनुभव को हमें कमेंट करके अवश्य बताइएगा। भगवती आप सभी पर अपनी असीम कृपा सदा बरसाती रहें।

 

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