
होलिका दहन: साधना की सर्वोत्तम रात्रि- होलिका दहन का पर्व साधकों और आध्यात्मिक रुचि रखने वालों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह रात्रि मंत्र सिद्धि, तंत्र साधना और कठिन से कठिन इच्छाओं की पूर्ति के लिए स्वर्णिम अवसर प्रदान करती है। चाहे कोई वर्षों पुरानी अधूरी इच्छा हो, प्रियजन का वियोग हो, या कोई असंभव सी लगने वाली मनोकामना – इस रात किया गया यह प्रयोग निश्चित ही फलदायी सिद्ध होता है!
Table of Contents
सामग्री और विधि – सरल पर शक्तिशाली प्रयोग
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आवश्यक सामग्री:
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आधा किलो सरसों
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आम की लकड़ी या गाय के गोबर के कंडे
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कपूर
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विधि:
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रात 10:30 बजे के बाद पवित्र होकर शांत स्थान (घर के मंदिर, छत या देवस्थान) पर बैठें।
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किसी शुद्ध पात्र में आम की लकड़ी/गोबर के कंडे पर कपूर से अग्नि प्रज्वलित करें।
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नीचे दिए गए मंत्र का उच्चारण करते हुए एक-एक चुटकी सरसों अग्नि में डालें (हवन की भांति)।
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ध्यान रखें: मंत्र के अंत में “स्वाहा” नहीं, बल्कि “गुरु गोरखनाथ की दुहाई” कहें।
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प्रयोग के पूर्व और पश्चात अपनी मनोकामना को इष्टदेव (माता कामाख्या, गुरु गोरखनाथ) के समक्ष रखें।
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मंत्र और मनोकामना का रहस्य
मंत्र:
कामरु देश कामाक्षा देवी उहाँ बसे इस्माइल जोगी,
चल रे सरसो कामरू जाइ उहाँ बैठी बुढ़िया माई
जो अमुक कार्य ना करे तो गुरु गोरखनाथ की दुहाई।।
ध्यान रहे की अमुक के जगह अपनी मनोकामना बोलनी है-
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उदाहरण:
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स्वास्थ्य के लिए: “जो सुरेश स्वस्थ ना हो…
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प्रेम/मिलन के लिए: “जो राधा-कृष्ण का मिलन ना हो…
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धन के लिए: “जो मेरा धन न मिले ..
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अधिक शक्ति के लिए विशेष टिप्स
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इस प्रयोग को 11, 21 या 41 दिन तक लगातार करें, जब तक की मनोकामना पूर्ण ना हो जाये।
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यदि ऐसा संभव न हो, तो होलिका रात्रि को ही करके अगले दिन से 11, 21 या एक माला मंत्र जप प्रतिदिन पूजा के समय करें।
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शर्त: ईमानदारी से करें, किसी के अहित की भावना न रखें।
क्यों है यह प्रयोग विशेष?
होलिका दहन की अग्नि में समस्त नकारात्मकताओं के दहन + सकारात्मक इच्छाओं के प्रज्वलन की शक्ति होती है। सरसों की आहुति और यह मंत्र कामाख्या शक्तिपीठ व गोरखनाथ की तांत्रिक ऊर्जा को जागृत करते हैं, जिससे मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं।
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