Author name: Tantrik Rahasya

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नाभि आसन करने की विधि और लाभ

नाभि आसन वस्तुतः नाभि के विचलन को दूर करने का आसन है। जब नाभि अपने स्थान से खिसक जाती है तो मनुष्य को विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। नाभि का अपने स्थान से खिसक जाना या विचलित हो जाना केवल शारीरिक रोगों को ही नहीं अपितु […]

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आकर्ण धनुरासन करने की विधि और लाभ

आकर्ण धनुरासन भी धनुरासन के समान ही है। धनुष के कमान को जब पकड़कर खींचा जाता है, तब उसमें एक तनाव का बल कार्य करता है। इस आसन में शरीर की मुद्रा को तो खींचे हुए धनुष की आकृति में लाया ही जाता है, साथ ही पेशियों के तनाव का

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धनुरासन करने की विधि और लाभ

शरीर को धनुष की आकृति में मोड़ने के कारण इस आसन को धनुरासन कहते हैं। यह आसन थोड़ा कठिन है इसलिए इसे करते समय थोड़ा सावधानी बरतनी चाहिए। जिन्हें पीठ के नीचे रीढ़ की हड्डी में दर्द हो उन्हें बिना डाक्टर के सलाह के यह आसन बिल्कुल भी नहीं करनी

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सुप्त वज्रासन करने की विधि और लाभ

सुप्त वज्रासन लेटकर किया जाने वाला आसन है। यह बहुत ही स्वास्थ्यवर्धक आसन है एवं योग के कुछ महत्वपूर्ण आसनों में एक है। सुप्त वज्रासन में वज्रासन की मुद्रा बनाकर पीछे की ओर पीठ के बल भूमि पर लेटा जाता है। इसी कारण इसे सुप्त वज्रासन कहा जाता है। सुप्त

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वज्रासन करने की विधि और लाभ

वज्र का अर्थ कठोर एवं सख्त होता है। लेकिन योग में वज्रासन को वज्रासन इसलिए कहा जाता है कि यह वज्रनाड़ी पर प्रभाव डालने वाला आसन है। वज्रनाड़ी, गुदा एवं अंडकोष के मध्य में होती है। वज्रासन एक सरल आसन है। परन्तु इसके लाभ बहुत ही बेहतरीन एवं चौकानें वाला

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चक्रासन करने की विधि और लाभ

शारीरिक स्वास्थ्य की दृष्टि से चक्रासन एक उत्तम आसन की श्रेणी में आता है। इस आसन में शरीर की मुद्रा चक्रवत बन जाती है, इसिलिए इसे चक्रासन कहा जाता है। इस आसन को कभी भी जल्दीबाजी में नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह आसन थोड़ा कठिन आसन है। इस आसन को

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