चक्रासन करने की विधि और लाभ

शारीरिक स्वास्थ्य की दृष्टि से चक्रासन एक उत्तम आसन की श्रेणी में आता है। इस आसन में शरीर की मुद्रा चक्रवत बन जाती है, इसिलिए इसे चक्रासन कहा जाता है। इस आसन को कभी भी जल्दीबाजी में नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह आसन थोड़ा कठिन आसन है। इस आसन को करने में पूरे शरीर को मोड़ना पड़ता है। अतः पूरी सतर्कता के साथ इस आसन को करें।

चक्रासन करने की विधि

चक्रासन करने के लिए सर्वप्रथम पीठ के बल लेटकर हाथों तथा पैरों के बल पर शरीर के मध्य भाग को ऊपर उठाएं। इसके पश्चात पैरों को हाथों की ओर यथा सम्भव खिसकाकर दोनों के अन्तराल को कम करना चाहिए। समस्त शरीर का भार हाथों तथा पैरों पर केन्द्रित होना चाहिए।

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चक्रासन करने की विधि और लाभ

 

ऐसी ऐसी अवस्था में शरीर की मुद्रा लगभग चक्राकार दिखाई देती है। पुनः हाथों तथा पैरों के अन्तराल को बढ़ाते हुए शरीर को पूर्व अवस्था में लाना चाहिए। इस आसन का अभ्यास धीरे-धीरे करना श्रेयस्कर होता है।

चक्रासन करने के लाभ

चक्रासन बैठकर किए जाने वाले आसनों से सर्वथा भिन्न है। इसका अभ्यास करने से वक्षस्थल, मेरुदण्ड, पेट, कमर, नितम्ब, जाघों तथा मांसपेशियों का अच्छा व्यायाम होता है जिससे इन अंगों में आयी बद्धता, संकुचन, प्रसार तथा जड़ता आदि की समस्यायें समाप्त हो जाती है।

कफ, पित्त तथा वात के दोष भी दूर हो जाते हैं। शरीर में दृढ़ता, नयी चेतना, स्फूर्ति तथा क्रियाशीलता आती है। चक्रासन करने से रक्त संचार भी नियमित हो जाता है।

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