शरीर को धनुष की आकृति में मोड़ने के कारण इस आसन को धनुरासन कहते हैं। यह आसन थोड़ा कठिन है इसलिए इसे करते समय थोड़ा सावधानी बरतनी चाहिए। जिन्हें पीठ के नीचे रीढ़ की हड्डी में दर्द हो उन्हें बिना डाक्टर के सलाह के यह आसन बिल्कुल भी नहीं करनी चाहिए।
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धनुरासन करने की विधि
पेट पर लेटकर दोनों पावों को मोड़कर नितम्बों के ठीक ऊपर लायें। दोनों हाथों को पीछे लेजाकर पंजों को आमने-सामने रखते हुए पांवों के टखनों को पकड़ें। तत्पश्चात सिर को ऊपर उठाते हुए हाथों से पैरां को कन्धों की आरे खींचना चाहिए। शरीर पूर्णतया पेट पर अवलम्बित होना चाहिए।
धनुरासन करने के लिए नीचे दिये चित्र का अनुसरण करें-
धनुरासन |
धनुरासन करने के लाभ
धनुरासन से वक्षस्थल, कन्धों, हाथों तथा टांगों में खिंचाव आता है जिससे शारीरिक स्वास्थ्य के साथ शरीर के विकास के लिए भी यह आसन उत्तम है। कमर तथा मेरुदण्ड का अच्छा व्यायाम होने के कारण इनमें लचीलापन आता है।
गुर्दे, फेफड़े, पसलियों एवं गला आदि स्वस्थ तथा दृढ़ हो जाते हैं। यह आसन मोटापा भी दूर करता है। स्त्रियों के मासिक धर्म एवं गर्भाशय के रोग दूर होते हैं।
धनुरासन में ध्यान
धनुरासन केवल शारीरिक व्यायाम के अंतर्गत आता है। इसलिए इस आसन को करते समय ध्यान नहीं लगाया जाता है। धनुरासन को करते समय यह ध्यान देना चाहिए की पूरे शरीर का अवलम्बन पूरी तरह से पेट पर हो और संतुलित हो।
धनुरासन करते समय सावधानियां
- उत्तर की ओर सिर करके धनुरासन नहीं करना चाहिए।
- शरीर का संचालन धीरे-धीरे करें।
- शरीर के अंगों के साथ जोर-जबरस्ती न करें। यदि धनुरासन करने में कठिनाई हो रही हो तो धीरे-धीरे अभ्यास करें।