भैरवाष्टमी: भगवान भैरव की कृपा प्राप्त करने का दिव्य अवसर

भैरवाष्टमी 2025 का महत्व, पूजा विधि और दीपदान का रहस्य
भैरवाष्टमी पर रात्रि जागरण और दीपदान का विशेष महत्व माना जाता है।

भैरवाष्टमी केवल भैरव भक्तों के लिए ही नहीं, बल्कि समस्त सनातन धर्म में आस्था रखने वालों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है।

यह दिन भगवान शिव के स्वरूप काल भैरव की आराधना का माना गया है। शिव रहस्य ग्रंथ में वर्णित है कि इस दिन रात्रि का जागरण (जागते रहना और भैरव स्मरण करना) विशेष महत्व रखता है।

👉 यदि कोई विशेष पूजा, मंत्र-जप या बड़ा अनुष्ठान न भी कर पाए, तो भी रात्रि-जागरण और भैरव जी का स्मरण मात्र से ही अद्भुत लाभ प्राप्त होते हैं।

दीप दान का महत्व

भैरवाष्टमी पर दीपदान का विशेष विधान है।

  • इस दिन से आप दीपदान प्रारंभ करके 21 दिन, 41 दिन या जीवनभर प्रतिदिन दीप अर्पण कर सकते हैं।

  • केवल इस दिन भी दीप अर्पण करने से शुभ फल मिलता है।

  • यदि संभव हो तो प्रतिदिन भैरव जी के लिए दीपक जलाने का संकल्प लें।

दीपक के प्रकार और उनके फल (तंत्र शास्त्र अनुसार)

तंत्र शास्त्रों में भैरव जी के लिए दीपक के अलग-अलग धातुओं/सामग्रियों का महत्व बताया गया है—

  • सोने का दीपक → सिद्धि के लिए

  • चांदी का दीपक → वशीकरण के लिए

  • लोहे का दीपक → विद्वेषण (दुश्मन शांत करने हेतु)

  • मिट्टी का दीपक → मारण कर्म के लिए

  • कांसे/पीतल का दीपक → उच्चाटन व मोहक कर्म के लिए

  • अनाज का दीपक → सर्व कार्य सफलता के लिए

  • तांबे का दीपक → सामान्य उपासना में श्रेष्ठ माना गया है

👉 यदि विशेष दीपक उपलब्ध न हो तो गाय के घी का साधारण दीपक भी पूर्ण फलदायक माना गया है।

बत्ती (सूत्र) के प्रकार

भैरव जी के लिए दीपक की बत्ती भी विशेष महत्व रखती है—

  • सफेद बत्ती → शांति कर्म के लिए

  • पीली बत्ती → स्तंभन के लिए

  • लाल बत्ती → वशीकरण व शुभ कार्यों के लिए

  • काली बत्ती → मारण व विशेष साधना के लिए

👉 सामान्य रूप से सफेद या लाल रंग की बत्ती सर्वोत्तम मानी जाती है।

तेल और घी का महत्व

  • गाय का घी → सर्वश्रेष्ठ और सर्वसिद्धिदायक

  • सरसों का तेल → भैरव जी को अत्यंत प्रिय

  • घी न मिलने पर सरसों के तेल का दीपक अवश्य अर्पित करें।

भैरवाष्टमी की पूजा विधि

  • मध्यान्ह (दोपहर) का समय भैरव जी के प्रकट होने का समय माना गया है, अतः इस समय पूजा विशेष फलदायी होती है।

  • स्नान करके पवित्र होकर भैरव जी की मूर्ति/चित्र/प्रतिमा के समक्ष दीप, धूप, पुष्प और प्रसाद अर्पित करें।

  • रुद्राक्ष की माला से भैरव मंत्र का जप करें।

भैरवाष्टमी का विशेष शाबर मंत्र

यदि आप शावर परंपरा में आस्था रखते हैं, तो इस मंत्र का जप कर सकते हैं—

पांच बरस बालका जौन है संकर रूप।
दौड़े संकट काटन को हाथ ले तिरशूल।।

  • इस मंत्र का 1 माला या 5 माला जप करें।

  • अपनी कामना भैरव जी से निवेदित करें।

  • जब आपकी मनोकामना पूर्ण हो जाए तो मंत्र जप बंद करके भैरव जी को धन्यवाद दें।

भैरव जी के प्रिय नैवेद्य

  • इमरती

  • लड्डू

  • सिंदूर

  • तेल का दीपक

  • एकमुखी और चारमुखी दीपक

सरल उपाय (जो तांत्रिक साधना नहीं करना चाहते)

  • रात्रि का जागरण करें।

  • भैरव जी के निमित्त 1, 5, 7 या 21 दीपक जलाएं।

  • केवल “जय भैरव बाबा” का स्मरण करते रहें।

यह साधारण-सा उपाय भी आपके जीवन में समस्याओं का समाधान और भैरव जी की असीम कृपा दिला सकता है।

निष्कर्ष

भैरवाष्टमी का पर्व श्रद्धा, आस्था और भक्ति से भरा हुआ अवसर है। चाहे आप साधारण भक्त हों या तांत्रिक साधक, इस दिन भैरव जी की पूजा, दीपदान और मंत्र-जप से जीवन की समस्याएँ दूर होती हैं और सफलता के मार्ग खुलते हैं।

🙏 भैरव बाबा की कृपा आप पर सदैव बनी रहे।

✅ FAQ

Q1. भैरवाष्टमी का महत्व क्या है?
भैरवाष्टमी भगवान शिव के स्वरूप काल भैरव की पूजा का विशेष पर्व है। इस दिन रात्रि-जागरण, दीपदान और भैरव मंत्र-जप से जीवन की समस्याएँ दूर होती हैं और सफलता प्राप्त होती है।

Q2. भैरवाष्टमी पर दीपदान क्यों करना चाहिए?
भैरवाष्टमी पर दीपदान करने से नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं, सुख-समृद्धि आती है और भैरव बाबा की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

Q3. भैरव जी के लिए कौन-सा दीपक श्रेष्ठ है?
गाय के घी का दीपक सर्वश्रेष्ठ माना गया है। घी उपलब्ध न हो तो सरसों के तेल का दीपक भैरव जी को अत्यंत प्रिय है।

Q4. भैरवाष्टमी पर कौन-सा मंत्र जपें?
सरल शाबर मंत्र—
“पाँच वर्ष बाल का जौन है, शंकर रूप।
दौड़े संकट काटन को, हाथ ले त्रिशूल॥”
इस मंत्र का 1 या 5 माला जप करना शुभ माना गया है।

Q5. भैरवाष्टमी पर क्या आसान उपाय कर सकते हैं?

  • रात्रि का जागरण करें

  • दीपक जलाकर भैरव जी का स्मरण करें

  • “जय भैरव बाबा” का नाम जपते रहें

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