बटुक भैरव साधना | Batuk Bhairav Sadhana

Batuk Bhairav Sadhana
Batuk Bhairav Sadhana

बटुक भैरव साधना  (Batuk Bhairav Sadhana) से समस्त प्रकार के भय का नाश होता है एवं समस्त प्रकार के कार्यों की सिद्धि होती है।  अपने जीवन काल में प्रत्येक मनुष्य को यह साधना करना ही चाहिए।

बटुक भैरव साधना  (Batuk Bhairav Sadhana) सात्विक साधना है। बटुक भैरव साधना को भैरव सिद्धि दिवस, श्रीकाल भैरवाष्टमी या किसी भी रविवार को सम्पन्न किया जा सकता है। भैरव शिघ्र प्रसन्न होने वाले देव हैं।

साधकों को यह प्रयोग अपनी सभी इच्छाओं की पूर्ति के लिए अवश्य करना चाहिए। इस प्रयोग द्वारा अपनी एवं अपने परिवार की सम्पूर्ण सुरक्षा होती है। यह केवल एक दिन का प्रयोग है। लेकिन अधिक लाभ के लिए इसे सवा महीने तक किया जा सकता है।

बटुक भैरव साधना  (Batuk Bhairav Sadhana) की विधि

बटुक भैरव साधना  (Batuk Bhairav Sadhana) को संपन्न करने के लिए  साधक, साधना वाले दिन की रात्रि में 10 बजे स्नान आदि करके, स्वच्छ होकर तथा काले या गहरे नीले रंग का वस्त्र धारण कर एवं काले या नीले रंग के आसन पर दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाए।

अब साधक अपने सामने बाजोट पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर गुरु चित्र स्थापित करे। गुरु चित्र की बायें ओर बटुक भैरव चित्र या भैरव विग्रह स्थापित करे। अब साधक गुरु चित्र का पंचोपकार पूजन सम्पन्न करे।

तत्पश्चात भैरव चित्र के सामने एक तांबे की प्लेट पर कुंकुम से उर्ध्वमुखी त्रिभुज बनाकर उस पर प्राण प्रतिष्ठित श्री बटुक भैरव यंत्र स्थापित करे। अब साधक धूप व सरसो के तेल का दीप जलाए।

दीपक का पूजन कुंकुम, चावल एवं पुष्प से करे। इसके बाद साधक दोनों हाथ जोड़कर अपने गुरु से सफलता का आशिर्वाद लेकर श्री बटुक भैरव का ध्यान करे-

बटुक भैरव ध्यान

फणिं दमरुकं पश्चादं कुशं पाशमेव च।
अमृत कलशं चैव वरदाभय धारिणम्।।
कालाम्बुदश्यामलांगं वन्दे बटुक भैरवं।।

अर्थ- परशु, डमरू, अंकुश, पाश एवं अमृत कलश से युक्त, अपने साधकों को वरदान एवं अभय प्रदान करने वाले श्याम मेघ की तरह सुन्दर अंगों वाले भगवान बटुक भैरव को मैं प्रणाम करता हूं।

बटुक भैरव साधना  (Batuk Bhairav Sadhana) के दौरान भगवान बटुक भैरव के बाल स्वरूप के ध्यान के बाद, साधक श्री बटुक भैरव यंत्र का धूप, दीप, गंध, पुष्प तथा नैवेद्य आदि से निम्न मंत्रों का उच्चारण करते हुए पूजन करे।

ऊँ लं पृथ्वी तत्वात्मकं गंन्धं श्रीमद् आपदुद्धारणाय बटुक भैरवाय प्रीत्यर्थे समर्पयामि नमः (यंत्र पर गन्ध/इत्र चढ़ायें)

ऊँ हं आकाश तत्वात्मकं पुष्पं श्रीमद् आपदुद्धारणाय बटुक भैरवाय प्रीत्यर्थे समर्पयामि नमः (यंत्र पर पुष्प चढ़ायें)

ऊँ यं वायु तत्वात्मकं धूपं श्रीमद् आपदुद्धारणाय बटुक भैरवाय प्रीत्यर्थे आघ्रापयामि नमः (यंत्र को धूप दिखायें)

ऊँ रं अग्नि तत्वात्मकं दीपं श्रीमद् आपदुद्धारणाय बटुक भैरवाय प्रीत्यर्थे दर्शयामि नमः (यंत्र को दीप दिखायें)

ऊँ वं अमृत तत्वात्मकं नैवेद्यं श्रीमद् आपदुद्धारणाय बटुक भैरवाय प्रीत्यर्थे निवेदयामि नमः (यंत्र को नैवेद्य निवेदन करें)

यंत्र पूजन के बाद, साधक काली हकीक माला से बटुक भैरव मंत्र का 7 माला मंत्र जप करे।

बटुक भैरव मंत्र

।। ऊँ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं ऊँ स्वाहा।।
।। Om Hreem Batukay Apadudhharnay Kuru Kuru Batukay Hreem Om Swaha।।

यह एक अत्यंत प्रभावशाली इक्कीस अक्षरों वाला मंत्र है जो कि शीघ्र ही प्रभाव दिखाता है। मंत्र जप के बाद भैरव आरती करें तथा सफलता का आशीर्वाद लें। यह एक दिन का प्रयोग है। इस प्रयोग के बाद साधक 37 दिनों तक यंत्र की पूजा करे।

पूजा के उपरांत बटुक भैरव का एक माला मंत्र जप करे। इससे साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। 37 दिन पूरा होने पर साधक यंत्र तथा माला को जल में प्रवाहित कर दे तथा भैरव चित्र का सदैव नित्य पूजन करता रहे।

बटुक भैरव साधना  (Batuk Bhairav Sadhana) में दिये गये माला एवं यंत्र, फोटो इत्यादि आप किसी भी पूजा के दूकान से ले सकते हैं। यदि सामग्री मिलने में कोई परेशानी आए तो  दिये गये लिंक से भी मंगा सकते हैं।

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बटुक भैरव के अन्य मंत्र

।। ऊँ ह्रीं बम् बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं ऊँ नमो नमः।।

तो दोस्तों उम्मीद करते हैं कि इस पोस्ट में दिए गए बटुक भैरव साधना  (Batuk Bhairav Sadhana) को आप अपने जीवन में संपन्न करके आप अपना एवं अपने पूरे परिवार का चहुमुखी विकास करने में समर्थ हो पाएंगे।

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2 thoughts on “बटुक भैरव साधना | Batuk Bhairav Sadhana”

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