भैरव जी की आराधना से मनोकामना पूर्ति – शाबर मंत्र का महत्व और सरल उपाय

भैरव जी की मूर्ति के सामने चारमुखी दीपक और सिंदूर अर्पण के साथ भक्त प्रार्थना करता हुआ
भैरव जी की आराधना और शाबर मंत्र जप से मनोकामना की पूर्ति संभव है।

हम सभी के जीवन में इच्छाएँ और समस्याएँ होती हैं। कोई नौकरी चाहता है, किसी का व्यवसाय ठीक से नहीं चल रहा, किसी को संतान की प्राप्ति नहीं हो रही, किसी का विवाह नहीं हो रहा या विवाह सुखद नहीं है, तो किसी को शत्रु परेशान कर रहे हैं।

हर व्यक्ति किसी न किसी जीवन समस्या से जूझ रहा है। ऐसे में भैरव जी की आराधना और शाबर मंत्रों का जप, आपकी मनोकामनाओं की पूर्ति और समस्याओं के निवारण का एक अत्यंत सरल और प्रभावी साधन है।

भैरव उपासना का महत्व

भैरव जी हिंदू धर्म में न्यायकारी देव माने जाते हैं। वे भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी करने के साथ-साथ उन्हें शत्रुओं और नकारात्मक शक्तियों से भी रक्षा करते हैं। भैरव साधना में शाबर मंत्रों का विशेष महत्व है क्योंकि ये मंत्र सरल होते हैं और अधिक जटिल कर्मकांड की आवश्यकता नहीं होती।

शाबर मंत्र क्यों विशेष हैं?

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लंबे और जटिल अनुष्ठान करना सबके लिए संभव नहीं है। शाबर मंत्र इसीलिए खास हैं क्योंकि:

  • ये सरल और शीघ्र फलदायी होते हैं।

  • केवल श्रद्धा और विश्वास से किए जा सकते हैं।

  • एकांत में, घर या मंदिर में आसानी से साधना संभव है।

  • नियमित जप से कुछ ही दिनों में सकारात्मक परिणाम मिलने लगते हैं।

पूजा की विधि

  1. रविवार या मंगलवार के दिन स्नान करके पवित्र होकर पूजा प्रारंभ करें।

  2. घर में शांत स्थान पर या मंदिर में भैरव जी की मूर्ति, चित्र, यंत्र स्थापित करें। यदि न हो तो मानसिक रूप से भैरव जी का स्मरण करें।

  3. सरसों के तेल का चार मुख वाला दीपक जलाएँ।

  4. भैरव जी को सिंदूर अर्पित करें। यदि मूर्ति या चित्र न हो तो पुष्प पर सिंदूर लगाकर अर्पित करें।

  5. बटुक भैरव का ध्यान करें, क्योंकि यह स्वरूप साधारण व्यक्ति के लिए सरल और सुगम है।

  6. अपनी मनोकामना को स्पष्ट रूप से भैरव जी से कहें और मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।

शाबर मंत्र और जप की विधि

भैरव साधना का प्रमुख शाबर मंत्र इस प्रकार है:

“भैरव उचके भैरव कूदे भैरव शोर मचावे
मेरा कहना ना करे तो कालिका का पूत ना कहावे
शब्द सांचा पिंड कांचा फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा”

👉 नोट: कई पाठ-भेदों में “पिंड कांचा” शब्द उपलब्ध नहीं होता। इसलिए मंत्र को जैसा आपके गुरु, परंपरा या मार्गदर्शक से प्राप्त हो, उसी प्रकार जप करें।

जप विधि:

  • रुद्राक्ष की माला से जप करें।

  • कम से कम 15–30 मिनट प्रतिदिन जप करें।

  • संभव हो तो 1 से 3 माला नियमित करें।

  • कुछ ही दिनों में सकारात्मक परिवर्तन महसूस होंगे।

सावधानी

भैरव जी की साधना और शाबर मंत्र का जप केवल शुभ कार्यों और अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए करें। किसी के अहित या बुरे उद्देश्य से किए गए जप का दुष्परिणाम साधक को ही भोगना पड़ता है।

निष्कर्ष

भैरव जी की उपासना साधारण व्यक्ति के जीवन में बड़ा परिवर्तन ला सकती है। चाहे विवाह, संतान, व्यवसाय, नौकरी या शत्रु संबंधी कोई समस्या हो – श्रद्धा और आस्था के साथ शाबर मंत्र जप करने से शीघ्र ही मनोकामना पूरी होती है।

यदि आप अपने जीवन की समस्याओं का सरल और प्रभावी समाधान चाहते हैं, तो भैरव जी की भक्ति और शाबर मंत्र साधना आपके लिए सर्वोत्तम उपाय है।

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