
भारत की परंपराओं और तांत्रिक साधनाओं में भैरव उपासना का विशेष स्थान है। भैरव—विशेषकर स्वर्णाकर्षण भैरव—को धन, संपन्नता, सुरक्षा और सौभाग्य प्रदान करने वाला देवता माना जाता है।
हर व्यक्ति अपनी आवश्यकता, इच्छा और ज्ञान के अनुसार भैरवजी की साधना करता है। लेकिन आज का विषय उन लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है जो आर्थिक स्थिति सुधारने, अनावश्यक खर्च रोकने, और धन-वृद्धि का मार्ग खोज रहे हैं।
इस ब्लॉग में हम स्वर्णाकर्षण भैरव से जुड़ा एक अत्यंत प्रभावी शाबर मंत्र, उसकी सरलीकृत साधना-विधि, और सही समय के साथ उसकी संपूर्ण प्रक्रिया को समझेंगे।
Table of Contents
स्वर्णाकर्षण भैरव साधना क्यों करें?
भैरवजी की साधनाएँ विशेष रूप से:
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धन-वृद्धि
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आर्थिक स्थिरता
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व्यापार में उन्नति
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नौकरी में लाभ
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अनावश्यक खर्चों में कमी
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परिवार में सुख-शांति के लिए की जाती हैं।
स्वर्णाकर्षण भैरव का अर्थ है—वह भैरव जो स्वर्ण (धन) को आकर्षित करता है। यह साधना धन आकर्षण, आय वृद्धि और आर्थिक संकट से मुक्ति दिलाने में अत्यंत प्रभावी मानी जाती है।
साधना कब प्रारंभ करें? (सबसे शुभ तिथियाँ)
1. सर्वोत्तम तिथि – भैरव जयंती
इस दिन साधना आरंभ करने से फल शीघ्र और शक्तिशाली मिलता है।
2. वैकल्पिक तिथियाँ
भैरव जयंती के अतिरिक्त आप इस साधना को निम्न तिथियों को कर सकते हैं-
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किसी भी महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी
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किसी भी महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी
दोनों तिथियाँ अत्यंत शुभ हैं।
3. अंतिम विकल्प – रविवार
यदि अष्टमी भी संभव न हो, तो यह साधना रविवार से प्रारंभ की जा सकती है।
पूजा कहाँ करें?
✔ भैरव मंदिर में
यदि आसपास कोई भैरव मंदिर हो, तो वहीं जाकर विधिवत पूजा करना श्रेष्ठ है।
✔ मानसिक पूजन
यदि भैरव मंदिर न मिले, तो किसी शांत स्थान पर बैठकर भैरवजी का मानसिक स्वरूप बनाकर पूजा करें।
✔ शिवलिंग पर भैरव पूजन
शास्त्रों के अनुसार किसी भी देवता की पूजा शिवलिंग पर की जा सकती है। इसलिए यदि केवल शिव मंदिर उपलब्ध हो, तो वहाँ शिवलिंग में भैरवजी का स्वरूप mentally स्थापित करके पूजा की जा सकती है।
स्वर्णाकर्षण भैरव से क्या प्रार्थना करें?
पूजा के बाद भैरवजी से अपनी आर्थिक मनोकामनाएँ कहें:
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आय में वृद्धि
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धन की स्थिरता
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अनावश्यक खर्चों में कमी
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व्यापार में लाभ
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नौकरी में प्रमोशन
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धन-संबंधी बाधाओं से मुक्ति
भैरवजी से अपने और अपने परिवार पर कृपा बनाए रखने की प्रार्थना करें।
जप-विधि (Mantra Chanting Rules)
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रुद्राक्ष की माला का उपयोग करें।
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प्रथम दिन 10 माला जपना सर्वोत्तम है।
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यदि संभव न हो, तो कम से कम 1 माला अवश्य जपें।
दैनिक जप
प्रतिदिन 11 या 21 बार मंत्र का जप करें।
लगातार जप करने से आर्थिक स्थिति में तेजी से सुधार देखा जा सकता है।
हवन-विधि (यदि संभव हो)
पहले दिन जप के बाद:
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साबुत उड़द और शहद, इनका मिश्रण तैयार करें।
आहुति संख्या:
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यदि आपने 10 माला जप किया हो → 1 माला (108 आहुतियाँ)
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यदि 1 माला जप किया हो → 11 आहुतियाँ
हवन करने के बाद भैरवजी को प्रणाम करें और घर वापस आएँ।
स्वर्णाकर्षण भैरव धन-आकर्षण मंत्र
नीचे दिया गया मंत्र मूल शाबर रूप में है। जैसा बोला जाता है, वैसे ही जप करना है:
🔱 मंत्र 🔱
“ॐ नमो आदेश गुरु का
भैरव भैरव सुवर्ण भैरव द्रव्य आन आन
नाही आने तो माता पार्वतीची आन
पिता महादेव की आन
मेरी आन मेरे गुरु की आन छू:।”
इस मंत्र में “आन” और “छू:” के उच्चारण विशेष तांत्रिक प्रभाव पैदा करते हैं। यह मंत्र धन को आकर्षित करने और आर्थिक बाधाओं को हटाने में अत्यंत प्रभावी माना जाता है।
साधारण व्यक्ति कैसे लाभ उठाए?
इस मंत्र की प्राचीन विधि थोड़ी जटिल है, लेकिन ऊपर दी गई सरलीकृत विधि:
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आसान
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सुरक्षित
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घर पर करने योग्य
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और समान रूप से प्रभावशाली है।
कुछ ही दिनों में परिणाम मिलने लगते हैं, और व्यक्ति स्वयं आश्चर्यचकित रह जाता है।
निष्कर्ष
स्वर्णाकर्षण भैरव की साधना धन-संपन्नता बढ़ाने का एक अत्यंत प्रभावशाली मार्ग है। नियमित जप, श्रद्धा और भक्ति से यह साधना व्यक्ति की आर्थिक स्थिति में अद्भुत सुधार ला सकती है।
यदि आप धन-संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं या अपनी आय में वृद्धि चाहते हैं, तो यह मंत्र-साधना आपके लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगी।
⭐ FAQ
1. स्वर्णाकर्षण भैरव कौन हैं?
स्वर्णाकर्षण भैरव भैरव के उन शक्तिशाली स्वरूपों में से एक हैं जिनसे धन, समृद्धि, आर्थिक वृद्धि और जीवन में स्थिरता की प्राप्ति मानी जाती है। यह रूप विशेष रूप से धन आकर्षण और आर्थिक बाधाओं को दूर करने के लिए प्रसिद्ध है।
2. स्वर्णाकर्षण भैरव साधना कब शुरू करें?
सबसे शुभ तिथि 16 नवंबर मानी जाती है। यदि यह संभव न हो, तो किसी भी महीने की कृष्ण पक्ष अष्टमी, शुक्ल पक्ष अष्टमी, या रविवार से साधना प्रारंभ की जा सकती है।
3. क्या इस साधना के लिए भैरव मंदिर जाना आवश्यक है?
नहीं, यह आवश्यक नहीं है।
यदि भैरव मंदिर उपलब्ध नहीं है, तो आप किसी शांत स्थान पर बैठकर मानसिक रूप से भैरवजी की कल्पना करके पूजा कर सकते हैं।
और यदि केवल शिव मंदिर उपलब्ध हो, तो शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पर भैरव रूप की कल्पना करके पूजा की जा सकती है।
4. इस साधना के लिए कौन-सी माला का उपयोग करें?
इस साधना में रुद्राक्ष की माला का उपयोग अत्यंत शुभ माना गया है।
5. प्रतिदिन मंत्र का कितना जप करना चाहिए?
प्रतिदिन 11 या 21 बार मंत्र का जप करना पर्याप्त है।
पहले दिन कम से कम 1 माला और यदि संभव हो तो 10 माला जपना उत्तम रहता है।
6. क्या हवन करना आवश्यक है?
हवन करना अनिवार्य नहीं है, लेकिन यदि संभव हो तो करना अत्यंत लाभकारी है।
हवन में साबुत उड़द और शहद का प्रयोग किया जा सकता है।
7. साधना के परिणाम कितने दिनों में मिलते हैं?
श्रद्धा, नियमितता और भक्ति के साथ जप करने पर परिणाम कुछ ही दिनों से लेकर कुछ हफ्तों में दिखाई देने लगते हैं।
कई लोग बहुत कम समय में सकारात्मक बदलाव महसूस करते हैं।
8. क्या यह साधना सभी लोग कर सकते हैं?
हाँ, यह साधना सरल, सुरक्षित और सभी लोगों के लिए उपयुक्त है।
किसी विशेष दीक्षा की आवश्यकता नहीं है।
9. क्या मंत्र का उच्चारण बिल्कुल सही होना चाहिए?
हाँ, मंत्र के मूल रूप को उसकी ध्वनि शक्ति के साथ ही बोलना चाहिए।
थोड़ा बहुत उच्चारण सामान्य है, पर शब्द और लय नहीं बदलने चाहिए।
10. इस साधना से क्या-क्या लाभ मिलते हैं?
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धन की प्राप्ति
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आर्थिक बाधाओं से मुक्ति
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खर्चों पर नियंत्रण
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व्यापार में उन्नति
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नौकरी में स्थिरता
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परिवार में समृद्धि
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मानसिक शांति
11. क्या महिलाओं द्वारा यह साधना की जा सकती है?
हाँ, महिलाएँ भी पूर्ण श्रद्धा के साथ यह साधना कर सकती हैं। इसके लिए कोई निषेध नहीं है।
12. साधना के दौरान क्या-क्या सावधानियाँ रखें?
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किसी पर भी क्रोध न करें
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नकारात्मक विचारों से दूर रहें
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प्रतिदिन कम से कम 11 जप अवश्य करें
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भोजन-संयम और स्वच्छता बनाए रखें
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पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ जप करें





