
हिन्दू धर्म में पूजा-पाठ का विशेष महत्व है। इनमें आरती एक ऐसी विधि है जो प्रत्येक धार्मिक अनुष्ठान के अंत में की जाती है। जब भी मंदिरों में पूजा होती है या घर पर कोई पूजा-पाठ किया जाता है, तो उसके अंत में भगवान की आरती अवश्य उतारी जाती है।
आरती केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहन आध्यात्मिक, मानसिक और वैज्ञानिक कारण भी छिपे हैं। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि आरती करने से क्या होता है, इसके धार्मिक, मानसिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक लाभ क्या हैं।
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आरती क्या है?
आरती शब्द संस्कृत के “आरात्रिक” से बना है, जिसका अर्थ है – “अंधकार को दूर करना”।
जब हम दीपक, कपूर या घी का दीप जलाकर भगवान के समक्ष घुमाते हैं तो इसे आरती कहा जाता है। इसका उद्देश्य केवल भगवान की पूजा करना नहीं, बल्कि प्रकाश के माध्यम से अज्ञान, अंधकार और नकारात्मकता को दूर करना है।
आरती करने का धार्मिक महत्व
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भक्ति का प्रतीक – आरती से भक्त अपनी सम्पूर्ण श्रद्धा और प्रेम भगवान को अर्पित करता है।
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अनुष्ठान की पूर्णता – किसी भी पूजा या यज्ञ का समापन आरती के बिना अधूरा माना जाता है।
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आध्यात्मिक वातावरण – आरती के समय दीपक की लौ, घंटी की ध्वनि और भक्ति गीत एक विशेष आध्यात्मिक वातावरण तैयार करते हैं।
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सामूहिक भक्ति – जब मंदिर में कई लोग मिलकर आरती करते हैं तो सामूहिक ऊर्जा उत्पन्न होती है जो भक्तों को दिव्य अनुभूति कराती है।
आरती करने से होने वाले लाभ
1. मानसिक शांति
आरती के समय जब भक्त भगवान के नाम का उच्चारण करता है और दीपक की लौ को देखता है, तो उसके भीतर की नकारात्मक भावनाएं शांत हो जाती हैं। इससे मन स्थिर होता है और तनाव कम होता है।
2. घर में सकारात्मक ऊर्जा
कपूर, घी या सरसों के तेल का दीपक जलाने से वातावरण शुद्ध होता है। इसकी खुशबू और धुआं नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करके घर में सकारात्मकता लाता है।
3. स्वास्थ्य लाभ
आरती में प्रयोग किए जाने वाले कपूर और घी का धुआं श्वसन तंत्र के लिए लाभकारी माना जाता है। साथ ही वातावरण में मौजूद कीटाणु भी नष्ट होते हैं।
4. एकाग्रता में वृद्धि
आरती करते समय जब हम पूरी श्रद्धा के साथ दीपक को भगवान के सामने घुमाते हैं और भजन गाते हैं, तो ध्यान केंद्रित होता है। इससे एकाग्रता शक्ति बढ़ती है।
5. आंतरिक शुद्धि
आरती केवल बाहरी वातावरण को ही नहीं, बल्कि भीतर की आत्मा को भी शुद्ध करती है। भक्त के हृदय में भक्ति, प्रेम और समर्पण की भावना प्रबल होती है।
आरती और वैज्ञानिक दृष्टिकोण
हिन्दू परंपराओं के पीछे केवल धार्मिक मान्यता ही नहीं, बल्कि विज्ञान भी छिपा हुआ है।
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ध्वनि का प्रभाव – आरती के दौरान गाए जाने वाले भजन और बजने वाली घंटियों से ध्वनि तरंगें उत्पन्न होती हैं जो वातावरण को ऊर्जावान बनाती हैं। वैज्ञानिक दृष्टि से ये ध्वनियाँ नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती हैं।
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प्रकाश और ऊर्जा – दीपक की लौ से निकलने वाली ऊर्जा घर के वातावरण को गर्माहट और पवित्रता प्रदान करती है। मनोविज्ञान के अनुसार, अग्नि को देखने से मन में शांति और सकारात्मकता आती है।
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सुगंध का महत्व – कपूर और घी की सुगंध मानसिक शांति देती है और तनाव को कम करती है।
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एक्यूप्रेशर का लाभ – आरती करते समय जब हम दोनों हाथ जोड़ते हैं या ताली बजाते हैं तो हथेलियों के बिंदुओं पर दबाव पड़ता है, जिससे रक्त संचार बेहतर होता है और शरीर ऊर्जावान रहता है।
घर में आरती करने के नियम और विधि
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साफ-सफाई – आरती करने से पहले घर और पूजा स्थल की साफ-सफाई करना आवश्यक है।
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दीपक और कपूर – शुद्ध घी या कपूर का दीपक प्रयोग करना चाहिए।
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आरती गीत – भगवान की स्तुति में लिखी गई आरती का सामूहिक गान वातावरण को पवित्र करता है।
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घंटी और शंख – आरती के समय शंख और घंटी बजाना चाहिए, इससे वातावरण में दिव्यता आती है।
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परिवार का सहभाग – यदि परिवार के सभी सदस्य आरती में शामिल हों तो घर में एकता और प्रेम बढ़ता है।
आरती के प्रकार
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दीप आरती – घी या तेल के दीपक से की जाती है।
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कपूर आरती – कपूर जलाकर उतारी जाती है, जो वातावरण को शुद्ध करती है।
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फूल आरती – कुछ विशेष अवसरों पर भगवान को फूलों से आरती उतारी जाती है।
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जल आरती – नदी या जलधारा के किनारे दीपक जलाकर भगवान को अर्पित की जाती है।
आरती करने का सही समय
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सुबह सूर्योदय के समय
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शाम सूर्यास्त के बाद
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किसी भी पूजा, व्रत या अनुष्ठान के अंत में
इन समयों पर आरती करने से विशेष आध्यात्मिक लाभ मिलता है।
निष्कर्ष
आरती केवल एक धार्मिक रस्म नहीं है, बल्कि यह भक्ति, विज्ञान और जीवनशैली का अद्भुत संगम है। यह हमें आध्यात्मिक शक्ति देती है, घर के वातावरण को पवित्र करती है और मानसिक शांति प्रदान करती है। आरती से भक्त और भगवान के बीच एक दिव्य संबंध स्थापित होता है। इसलिए कहा जाता है कि – “आरती करने से मन, घर और जीवन सब प्रकाशित हो जाते हैं।”