प्रातः काल जप मंत्र (MORNING MANTRA) : हमें सदा अपने दिन की शुरुवात भगवान के स्मरण एवं ध्यान के साथ करनी चाहिए।
कहा गया है कि यदि हम भगवान को दिन में एक बार याद करते हैं, तो भगवान हमें पूरा दिन याद रखते हैं और हमारे सफलता प्राप्ति में सहयोग करके हमारे ऊपर सदा अपनी दया दृष्टि को बनाए रखते हैं।
आज मनुष्य अपने जीवन के आपा-धापी में स्वयं को ही भूल गया है, तो भला भगवान को कैसे याद रख सकता है? हमें अपने जीवन को इस संकल्प के साथ जीना चाहिए कि चाहे लाख विपत्तियाँ क्यों न आ जाए, हम ईश्वर को कभी नहीं भूलेंगे।
उनका स्मरण-ध्यान एवं उनके अस्तित्व को अपने हृदय में हमेशा जीवित रखेंगे। प्रातः काल जप मंत्र (MORNING MANTRA)
ऐसा करके देखिए, आपका जीवन कैसे फूलों की भांति महक उठता है। आप हमेशा अपने दुख में किसी न किसी का सहारा पाएंगे और कठिन से कठिन वक्त को हंसते हुए गुजार लेंगे। क्योंकि भगवान अनेंको रूपों में अपने भक्तों की कठिन समय में रक्षा करते हैं।
MORNING MANTRA
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प्रातः काल जप मंत्र (MORNING MANTRA)
यहाँ प्रातः काल जप के मंत्र दिये जा रहे हैं। प्रत्येक सनातनी को सुबह-सुबह इन मंत्रों के द्वारा भगवान का ध्यान एवं स्मरण करके अपने दिन की शुरुवात करनी चाहिए।
श्रद्धालु अपने सुविधानुसार सुबह जगकर बिस्तर पर ही या नहा-धोकर पूजा स्थल पर इन मंत्रों (MORNING MANTRA) के द्वारा श्रध्दा एवं समर्पण के साथ इश्वर का स्मरण कर सकते हैं।
1) गणेश स्मरण –प्रातः काल जप मंत्र (MORNING MANTRA)
अर्थ- अनाथों के बन्धु, सिन्दूर से शोभायमान दोनों गण्डस्थल, प्रबल विघ्न का नाश करने में समर्थ एवं इन्द्रादि देवां से नमस्कृत श्री गणेश का मैं प्रातः काल स्मरण करता हूँ।
2) विष्णु स्मरण प्रातः काल जप मंत्र (MORNING MANTRA)
अर्थ- संसार के भय रूपी महान दुख को नष्ट करने वाले, ग्राह से गजराज को मुक्त करने वाले चक्रधारी एवं नवीन कमल दल के समान नेत्र वाले गरुणवाहन पर सवार भगवान श्रीनारायण का मैं प्रातःकाल स्मरण करता हूँ।
3) शिव स्मरण –प्रातः काल जप मंत्र (MORNING MANTRA)
अर्थ- संसार के भय को नष्ट करने वाले, देवेश, गंगाधर, वृषभ वाहन को धारण करने वाले, पार्वती पति, हाथ मेंं खटवांग एवं त्रिशूल लिये और संसार रूपी रोग का नाश करने के लिए अद्वितीय औषध स्वरूप, अभय एवं वरद मुद्रा युक्त हस्तवाले भगवान शिव का मैं स्मरण करता हूँ।
4) देवी स्मरण – प्रातः काल जप मंत्र (MORNING MANTRA)
अर्थ- शरद कालीन चन्द्रमा के समान उज्जवल आभा वाली, उत्तम रत्नों से जड़ित मकर कुण्डलों तथा हारों से सुशोभित, दिव्युधों से दीप्त सुन्दर नीले हजारों हाथों वाली, लाल कमल की आभायुक्त चरणों वाली भगवती दुर्गा का मैं प्रातः काल स्मरण करता हूँ।
5) सूर्य स्मरण – प्रातः काल जप मंत्र (MORNING MANTRA)
प्रातः स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यं, रूपं हि मण्डलमृचोन्थ तनुर्यजूंषि।
अर्थ- सूर्य का वह प्रशस्त रूप जिसका मण्डल ऋग्वेद, कलेवर यजुर्वेद तथा किरणें सामवेद हैं। जो सृष्टि आदि के कारण हैं, ब्रह्मा और शिव के स्वरूप हैं तथा जिनका रूप अचिन्त्य और अलक्ष्य है, प्रातः काल मैं उनका स्मरण करता हूँ।
उपरोक्त, प्रातः स्मरण मंत्र (MORNING MANTRA) के बाद अपने इष्ट देवता के मंत्र का एक माला जाप करने से इष्ट कृपा की प्राप्ति होती है।
दोस्तों इन पांच देवताओं की स्तुति, स्मरण तथा साधना हिन्दू धर्म में पंच देव उपासना के अंतर्गत आता है। अपने जीवन को पवित्र और पाप रहित बनाने के लिए हमें सदैव इश्वर के समीप रहना चाहिए। वास्तव में उपासना का अर्थ ही होता है, ”इश्वर के समीप रहना”
उपासना, दो शब्दों से मिलकर बना है- ”उप” और ”आसना” ”उप” का अर्थ होता है- निकट और ”आसना” का अर्थ होता है बैठना। अर्थात इश्वर के समीप बैठना।
प्रत्येक मनुष्य को प्रतिदिन ऊपर दिए गए प्रातः काल जप मंत्र(MORNING MANTRA) का प्रयोग करके अपने भगवान का स्मरण करना चाहिए।
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