GRAHAN |
Table of Contents
GRAHAN | ग्रहण पर हिन्दू धर्म की मान्यता
ग्रहण (GRAHAN) पर किये जाने वाले मंत्र प्रयोग
GRAHAN |
- सभी कार्यों की सिद्धि एवं वशीकरण में सफलता के लिए नीचे दिये मंत्र का जप, ग्रहण काल से आरम्भ कर 06 माह तक रोज एक हजार बार करने से मंत्र सिद्ध हो जाता है।
- “ऊँ नमो भगवते चंद्रप्रभ जितेन्द्राय चंद्र महिताय चन्द्र कीर्ति मुख रंजिनी स्वाहा।” इस मंत्र को ग्रहण के दिन रात्रि में जपने से श्रेष्ठ विद्या की प्राप्ति होती है।
- व्यापार में यदि वृद्धि नहीं हो रही हो, काम धन्धा मंदा पड़ गया हो या तांत्रिक प्रभाव के कारण व्यापार को बांध दिया गया हो तो ग्रहण काल के समय गल्ले में या तिजोरी में सिद्ध तांत्रिक वस्तुएं सियार सिंगी, हत्था जोड़ी एवं बिल्ली की नाल को स्थापित कर दें।
- यदि संभव हो तो व्यापार वृद्धि के लिए श्रेष्ठ दक्षिणावर्त शंख एवं दक्षिणमुखी गजानंद भी स्थापित कर दें। व्यापार बाधा पूर्णतः दूर हो जायेगी। ग्रहण (GRAHAN)
ग्रहण (GRAHAN) काल में रोग मुक्ति के लिए क्या करें?
ग्रहण (GRAHAN) काल में रोग मुक्ति के लिए निम्न उपाय अपनाएं, लाभ अवश्यक होगा।
- रोग निवारण के लिए ग्रहण काल में महामृत्युंजय यंत्र के समक्ष अधिक से अधिक महामृत्युंजय मंत्र का जप करें एवं महामृत्युंजय यंत्र के ऊपर ग्रहण काल के पूरे समय पंचामृत से निरन्तर अभिषेक करते रहें, मंत्र जाप निरन्तर चालू रहना चाहिए।
- ग्रहण (GRAHAN) समाप्ति के पश्चात यंत्र पर चढ़ा हुआ पंचामृत रोगी को चम्मच भर पिला दें। रोग निवरण के लिए यह श्रेष्ठ उपाय है।
- कांसे की कटोरी में घी भरकर उसमें सोने का टुकड़ा डालें। रोगी इस पात्र में अपनी पूरी छाया (पैर से मुह तक) देखे या सिर्फ अपना मुंह देखे। ग्रहण (GRAHAN) काल की समाप्ति के पश्चात पात्र को किसी ब्राह्मण को दान कर दें।
- शरीर में किसी असाध्य रोग ने घर कर लिया हो तो रोगी के वजन के बराबर किसी एक ही वस्तु या अनेक मिली जुली वस्तु का संकल्प लेकर दान करें।
ग्रहण (GRAHAN) काल में धन से सम्बन्धित समस्या का निदान
- धन प्राप्ति हेतु श्रीयंत्र के सम्मुख श्रीसुक्त अथवा श्रीयंत्र के बीज मंत्र का अथवा कुबेर मंत्र का जाप करे।
- बेरोजगार व्यक्तिओं को कुश के आसन पर गायत्री मंत्र का 11000 जप करने से सफलता मिलती है।
- जो व्यक्ति कालसर्प योग से ग्रसित है, अर्थात जिनकी कुण्डली में कालसर्प योग है, उन्हें ग्रहण (GRAHAN) काल में कालसर्प शांति करवानी चाहिए। इस ग्रहण काल में करवायी गयी कालसर्प योग विशेष फलदायी रहती है।
- ग्रहण (GRAHAN) के समय जन मानस को ऊँ का मन ही मन जाप करते रहना चाहिए। इससे ग्रहण का दोष उन पर नहीं हो पाएगा और वे शुभ फल प्राप्ति के भागी होंगे।
Pingback: पारद (PARAD) : ब्रह्माण्ड का सबसे शक्तिशाली तांत्रिक धातु » तांत्रिक रहस्य