वह रहस्यमयी भैरवी-भाग-2 | BHAIRAVI TANTRA KATHA

तेजानन्द ने गहरी सांस लेते हुए कहा – तुम आकाशागमन विद्या के बारे में जानने के लिए उत्सुक हो, यह स्वभाविक बात है। मनुष्य का यह स्वभाव है कि जो चीज उसके सामर्थ्य से बाहर की नजर आती है, या तो उसे वह झूठ की संज्ञा देता है या फिर […]

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त्रिपुर भैरवी – TRIPUR BHAIRAVI

त्रिपुर भैरवी – TRIPUR BHAIRAVI :- भैरवी योगेश्वरी रूप उमा हैं तथा जगत का मूल कारण हैं। एक कथानुसार जब शिव का मन उच्चटित होता है, तो वह पार्वती से कहीं दूर जाना चाहते हैं। परन्तु ज्योंहि वह आगे निकलते हैं, तो उनका मार्ग अवरुद्ध करके दशों दिशाओं से दस महादेवियॉ

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क्लेश निवारण | DEFEAT YOUR ENEMIES | KLESHA NIVARANA

KLESHA NIVARANA : मानव प्राणी अविद्या, अस्मिता, राग, द्वेष और अभिनिवेश, इन पांचों क्लेशों के कारण अपनी उत्कृष्टता को खो देता है, या यह कहा जा सकता है कि संसार की सर्वोत्कृष्ट रचना होते हुए भी इन्हीं क्लेशों के कारण उसे पशुवत जीवन जीने के लिए बाध्य होना पड़ता है। अतएव अपनी

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छिन्नमस्ता कवच – CHHINNAMASTA KAVACH

छिन्नमस्ता कवच – CHHINNAMASTA KAVACH :- मॉ छिन्नमस्ता देवी का कवच सभी प्रकार के शत्रुओं का नाश करने वाला है। इस कवच का पाठ करने से साधक का सभी प्रकार से रक्षा होती है तथा मॉ आद्य भवानी का  अनुग्रह प्राप्त होता है। भगवती छिन्नमस्ता के भक्तों को सदा इस

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पंचक्लेश – योगमार्ग के पांच महाशत्रु

संसारिक विषयों के निरंतर संसर्ग में रहने से चित्त में परिणामस्वरूप् प्रत्येक क्षण आविर्भूत होने वाली चित्तवृत्तियॉ अविद्या, अस्मिता, राग, द्वेष तथा अभिनिवेशादि ये पांच महाशत्रु साधक को योगमार्ग से विचलित करते हैं तथा साधक के हृदय की पवित्रता को नष्ट करते हैं। आध्यात्म के क्षेत्र में इन पांचों महाशत्रुओं

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छिन्नमस्ता – CHHINNAMASTA

छिन्नमस्ता – CHHINNAMASTA :- एक बार आद्यभवानी अपनी सहचरियों जया तथा विजया के साथ नदी में स्नान करने के निमित्त गयीं। उस स्थल पर स्नान करते हुए देवी के हृदय में सृष्टि निर्माण की प्रबल अभिलाषा जागृत हुई। इस इच्छा शक्ति के गरिमा के प्रभाव से देवी का रंग काला

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