
दादी मां के नुस्खे | Dadi Maa Ke Nuskhe :-रोगों की उत्पत्ति के अनेक कारण हो सकते हैं। रोगों की उत्पत्ति का सबसे बड़ा कारण है, प्रकृति के विरुद्ध काम करना। जब भी कोई व्यक्ति प्रकृति के विरुद्ध काम करता है, वह विभिन्न रोग-विकारों से पीड़ित होता है।
प्रकृति ही जल, वायु, अग्नि, आकाश और पृथ्वी पांच तत्वों का निर्माण करती है। इन पांच तत्वों से मिलकर मानव शरीर बनता है। प्रकृति ही मनुष्य के जीवनयापन के लिए आहार (अनाज, फल, सब्जी) की उत्पत्ति भी करती है।
भोजन से शरीर को संचालित करने की शक्ति मिलती है। मनुष्य को दो समय भोजन की आवश्यकता होती है। यह भी पढ़ें– कब्ज का रामबाण इलाज
जब तक कोई नियमित रूप से दो समय भोजन करता है, वह स्वस्थ रहता है, लेकिन जब अनियमित, अधिक स्वादिष्ट, उष्ण मिर्च-मसालों व अम्लीय रसों से निर्मित चटपटा भोजन करता है तो पाचन क्रिया विकृत होने से विभिन्न प्रकार के पेट रोगों से पीड़ित होता है।
आप पढ़ रहे हैं– दादी मां के नुस्खे हिन्दी में | Dadi Maa Ke Nuskhe in Hindi
दादी मां के घरेलू नुस्खे आयुर्वेद की उन विधाओं से लिया गया है जो मनुष्य के शरीर का पूरा काया-कल्प करने में सक्षम है।
आयुर्वेद चिकित्सा विश्व की सबसे प्राचीन पद्धति है। महर्षियों ने वनों में रहकर, पेड़-पौधों पर वर्षों अनुसंधान करके, उनके औषधीय गुणों का परीक्षण कर आयुर्वेद चिकित्सा की संरचना की है। आयुर्वेद में प्रकृति प्रदत्त पेड़-पौधों व दूसरी वनस्पतियों का औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है।
अनियमित और असंतुलित भोजन से शरीर में जब किसी प्राकृतिक तत्व का अभाव हो जाता है तो रोग की उत्पत्ति होती है। प्राकृतिक वनस्पतियों के सेवन उन रोगों का निवारण किया जाता है।
वनौषधियां शरीर में उत्पन्न अभाव को पूरा करके रोगों को नष्ट करती हैं, जिससे मनुष्य स्वस्थ हो जाता है। यह भी पढ़ें– महिला बवासीर
मनुष्य के जीवनयापन के तीन स्तम्भ हैं- आहार, निद्रा और ब्रह्मचर्य। आहार के सेवन से शरीर को संचालित करने की शक्ति मिलती है।
दिन भर काम करने से मनुष्य थक जाता है, जिससे उसकी शारीरिक शक्ति क्षीण हो जाती है। इस कमी को पूरा करने के लिए उसे आराम की आवश्यकता होती है। निद्रा से मनुष्य को आराम व नई शक्ति और स्फर्ति मिलती है।
दादी मां के नुस्खे की उपयोगिता | Uses of Dadi Maa Ke Nuskhe
आधुनिक परिवेश में प्रदूषित वातावरण के कारण अधिकतर स्त्री-पुरुष, बच्चे व प्रौढ़ श्वास रोग, अस्थमा तथा क्षय रोग आदि से पीड़ित होते हैं।
दूषित जल के सेवन से उदर रोगों की उत्पत्ति होती है। भोजन में अनियमितता व होटल, रेस्तरां में स्वादिष्ट भोजन करने के फलस्वरूप पाचन क्रिया विकृत होने से रोगों की उत्पत्ति होती है।
विभिन्न रोगों से पिड़ित होने पर मनुष्य क्लीनिकों, अस्पताल व नर्सिंग होम की ओर दौड़ते हैं। अस्पतालों, नर्सिंग होग में अधिक धन व्यय करने पर भी रोग नष्ट नहीं होते तो अपनी जिंदगी से परेशान हो जाते हैं।
जब मनुष्य के जीवन में ऐसी स्थिति पैदा हो जाती है तब आयुर्वेद से लिये गये दादी मां के नुस्खे उसके जीवन में डूबते को तिनके का सहारा जैसा प्रतीत होने लगता है।
परन्तु असलियत तो यह है कि आयुर्वेद तिनके के समान नहीं अपितु दुखों से पार लगाने वाली वह नैया है जिससे मनुष्य आज भी अनभिज्ञ है।
आयुर्वेद चिकित्सा में फल-सब्जिओं व वनौषधियों से घर बैठे विभिन्न रोगों को सरलता से नष्ट किया जा सकता है। दादी मां के नुस्खे अपनाकर कष्टदायक बिमारियों को अपने घर पर उपलब्ध औषधियों का प्रयोग करके समाप्त किया जा सकता है।
दादी मां के नुस्खे क्या है | What is Dadi Maa Ke Nuskhe
वास्तव में दादी मां के नुस्खे आयुर्वेद चिकित्सा ग्रंथों से गुणकारी घरेलू नुस्खों का संकलन है। यह भी पढ़ें- शीघ्रपतन का इलाज
प्राचीन काल से ही हमारे पूर्वज औषधियों का प्रयोग विभिन्न रोगों में करते आये हैं। उनके द्वारा प्रयोग की जाने वाली जड़ी-बूटियों का ज्ञान पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है।
जड़ी-बूटी का यही ज्ञान दादी मां के घरेलू नुस्खे के नाम से समाज में प्रचलित है। जब एलोपैथ एवं होम्योपैथ का विकास नहीं था तब बड़े से बड़े रोगों का इलाज घर पर ही जड़ी-बूटियों से कर लिया जाता था।
दादी माँ के 10 घरेलू नुस्खे जो हर वक्त काम आएगा
- 05 छोटी हरण शाम को पानी में भिगो दें। सुबह खाली पेट हरण को पीस कर या दांतों से चबा-चबा कर खा लें। गैस और कब्ज का रामबाण इलाज है।
- 05 ग्राम निम्बू का रस लेकर, उसमें 01 ग्राम काली मिर्च का चूर्ण और 05 ग्राम अदरक का रस मिलाकर सेवन करने से पेटदर्द से राहत मिल जाता है।
- खाना खाने के बाद 50 ग्राम पेठे की मिठाई खाने से सीने में जलन और खट्टी डकार आना बंद हो जायेगा।
- हरण का 03 ग्राम चूर्ण गुड़ के साथ सेवन करने से पेट का गैस नष्ट हो जाता है।
- निम्बू का रस और मिश्री शीतल जल में मिलाकर दिन में दो-तीन बार पीने से बदहजमी रोग से मुक्ति मिल जाती है।
- प्रतिदिन एक पके केले में पपीते के दूध का कुछ बूंद डालकर खाने से यकृत वृद्धि अर्थात लीवर बढ़ जाने की बामारी ख़त्म हो जाती है।
- मूली के पत्ते के रस में थोड़ी सी मिश्री मिलाकर, सुबह शाम खाने से पीलिया रोग में आराम मिलता है।
- चन्दन का 02 ग्राम चूर्ण मधु में मिलकर सेवन करने से उल्टी (वमन) बंद हो जाती है।
- बार-बार दस्त होने लगे (अतिसार की बीमारी) तो अनार खाने से लाभ मिलता है। 20 ग्राम अनार का छिलका लेकर उसे 500 ग्राम पानी में उबालें। जब पानी 40 ग्राम रह जाए तो उसे ठंडा करके के सुबह-शाम पिने से दस्त बंद हो जाते हैं।
- टमाटर के रस या सूप में चुटकी भर काली मिर्च का चूर्ण और सेंध नमक मिलकर सेवन करने से पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं।
निष्कर्ष
दोस्तों इस लेख में आपने जाना कि दादी मां के घरेलू नुस्खे से क्या मतलब है और यह किस तरह काम करता है। रोग-बिमारी क्यों होते है और आयुर्वेद उसका इलाज करने में किस प्रकार सक्षम है।
वास्तव में दादी मां के घरेलू नुस्खे आयुर्वेदिक चिकित्सा का एक ऐसा संकलन है जिसके द्वारा घर में प्रयोग की जाने वाली वनौषधियों का प्रयोग कर बड़े से बड़े रोग का इलाज किया जा सकता है।
यह चिकित्सा पद्धति पीढ़ी दर पीढी चली आ रही है। आज हम सब अपने आयुर्वेदिक चिकित्सा ग्रंथों पर विश्वास नहीं करते हैं, परन्तु दादी मां के घरेलू नुस्खे नाम से प्रचलित जड़ी-बूटियों का प्रयोग आज भी उतना ही कारगर है जितना आज से सौ साल पहले था।
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