शीर्षासन करने की विधि और लाभ

शीर्ष का अर्थ है मस्तक। मस्तक के सहारे इस आसन को लगाया जाता है, इसिलिए इस आसन को शीर्षासन कहते हैं।

शीर्षासन समस्त आसनों से भिन्न आसन है। इस आसन को करने से शरीर की रक्त संचार व्यवस्था सर्वाधिक प्रभावित होती है। इस आसन का अभ्यास करने से पूर्व अनुभवी चिकित्सक की सलाह ले लेना उचित रहता है।

शीर्षासन करने के लिए प्रारंभ में किसी दीवार के सहारे अभ्यास करना चाहिए। धीरे-धीरे जब दीवार के सहारे यह आसन करना सुलभ एवं सरल हो जाए तो बिना दीवार के सहारे सावधानी से अभ्यास करना चाहिए।

शीर्षासन करने की विधि

शीर्षासन करने के लिए सबसे पहले किसी वस्त्र को तीन-चार परतों में मोड़कर भूमि पर बिछा लेना चाहिए। अब घुटनों के बल बैठकर दोनों हाथों की अंगुलियों को फसा लें। अब आगे की ओर झुकें तथा कोहनियों को भूमि से सटाकर हाथों को सिर के ठीक नीचे अंजली जैसा बनाकर रखें।

सिर को इस हथेलियों की अंजली पर ऐसे रखें कि माथा हथेलियों पर पड़े। तत्पश्चात सिर के ऊपर सम्पूर्ण शरीर को उल्टा खड़ा करना चाहिए। पूरा शरीर धरती पर हथेलियों से बने अंजली में टिके हुए ललाट (मस्तक) एवं हाथों की कोहनियों के सहारे लम्बवत होना चाहिए।

शीर्षासन की अवस्था में अपने सांसों को सामान्य रखना चाहिए। शुरू में इस आसन को तीस-तीस सेकण्ड तक करें और बाद में पांच मिनट से ज्यादा इस आसन को नहीं करना चाहिए।

शीर्षासन करने के लिए नीचे दिये चित्र का अनुसरण करें-

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शीर्षासन

शीर्षासन करने के लाभ

शीर्षासन को सभी आसनों का राजा कहा जाता है। इससे शरीर की सभी नस एवं नाड़ियों में रक्त संचार स्वस्थ ढंग से होने लगता है, जिससे प्रत्येक अंग निरोग, स्वस्थ और सबल होते हैं।

शीर्षासन निम्न रक्तचाप में विशेष उपयोगी है। सामान्यतः यह आसन रक्त संचार को संतुलित तथा नियमित भी करता है। आसन को करने से बालों का सफेद होना बन्द हो जाता है एवं सफेद बाल काले हो जाते हैं। इससे बालों का झड़ना भी बन्द हो जाता है।

शीर्षासन करने से मस्तिष्क की गर्मी, झनझनाहट, हाथ-पांव की झनझनी या सूनापन, बवासीर की व्याधि, मधुमेह, स्वप्नदोष आदि दूर हो जाते हैं।

शीर्षासन करते समय सावधानियां

शीर्षासन करते समय निम्न सावधानियां बरतनी चाहिए।

  • आंख, कान एवं हृदय आदि के रोगों से ग्रस्त लोगों के लिए यह आसन वर्जित है। उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिए शीर्षासन करना पूर्णतया वर्जित है।
  • सिर के नीचे आसन की तह इतनी होनी चाहिए कि वह न तो ज्याद कठोर हो और न तो ज्याद नर्म।
  • सिर के ललाट के ऊपर का भाग भूमि पर टिकना चाहिए।
  • शीर्षासन करते समय कसा हुआ वस्त्र न पहनें। महिलाओं को भी कसे हुए अधोवस्त्र का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • शीर्षासन करने से पहले अपने शरीर का तापमान सामान्य कर लें। कोई भारी आसन या कसरत करने के तुरंत बाद इस आसन को करें।

शीर्षासन में ध्यान

शीर्षासन में मूलाधार चक्र से सहस्रार चक्र तक का ध्यान लगाया जाता है। सामान्य व्यक्तिओं के लिए इतना ही पर्याप्त है कि वे रीढ़ की हड्डी की निचली नुकीली हड्डी से मस्तिष्क की ओर बल लगाते हुए ध्यान लगायें।

इस आसन में त्राटक बिन्दु से भी ध्यान लगाया जाता है।

पवनमुक्तासन करने की विधि और लाभ

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