Matangi Kavach |
मातंगी कवच | MATANGI KAVACH
शिरोमातंगिनी पातु भुवनेशी तु चक्षषी।
तोतला कर्णयुगलं त्रिपुरा वदनं मम्।।
मातंगी मेरे मस्तक की, भुवनेश्वरी मेरे चक्षु की, तोतला मेरे कर्ण और त्रिपुरा मेरे मुख की रक्षा करें।
पातु कण्ठे महामाया हृदि माहेश्वरी तथा।
त्रिपुरा पार्श्वयोः पातु गुह्ये कामेश्वरी मम्।।
महामाया मेरे कण्ठ की, माहेश्वरी मेरे हृदय की, त्रिपुरा मेरे पार्श्व की और कामेश्वरी मेरे गुह्य की रक्षा करें।
ऊरुद्वये तथा चण्डी जंघायान्च रतिप्रिया।
महामाया पदे पायात्सर्वांगेषु कुलेश्वरी।।
चण्डी दोनों ऊरुओं की, रतिप्रिया मेरी जंघा की, महामाया मेरे पांवों की और कुलेश्वरी सर्वांग की रक्षा करें।
य इदं धारयेन्नित्यं जायते सर्वदानवित्।
परमैश्वर्य्यमतुलं प्राप्नोति नात्र संशयः।।
जो पुरुष इस कवच को धारण करते हैं, वह सर्वदानज्ञ होते हैं और अतुल ऐश्वर्य को प्राप्त होते हैं। इसमें सन्देह नहीं करना चाहिए।