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KAMALA |
कमला (KAMALA) : दशवीं महाविद्या कमल का लोक प्रचलित नाम लक्ष्मी है। इन्हें नारायणी भी कहते हैं। धूमावती और कमला में प्रतिस्पर्धा है, क्यांकि धूमावती ज्येष्ठा और कमला कनिष्ठा है।
धूमावती को विधवा माना जाता है और अलक्ष्मी तथा भूखी माँ भी कहते हैं। धूमावती अवरोहिणी हैं तथा इन्हें आसुरी माना जाता है। इसके विपरीत कमला (KAMALA) सधवा हैं और इन्हें लक्ष्मी कहते हैं। ये रोहिणी हैं तथा इन्हें दिव्या माना जाता है।
यूं तो सभी महाविद्याएं आदि अन्त से रहित हैं फिर भी इनके प्रादुर्भाव को विभिन्न प्राच्य विद्वानां ने अपने-अपने ज्ञानानुसार प्रकट किया है जिसके अनुसार समुद्र-मंथन के समय धन्वन्तरी जी के बाद उच्चैःश्रवा-घोड़ा फिर ऐरावत तत्पश्चात लक्ष्मी जी का प्रादुर्भाव हुआ था।
श्रीमद्भागवत के आठवें स्कन्द के आठवें अध्याय में इनके उद्भव की कथा आई है। देवताओं तथा असुरों द्वारा किए गए मन्थन के फलस्वरूप समुद्र से जब इनका प्रादुर्भाव हुआ तो विष्णु ने इनका वरण किया।
यह जगत के पोषण-पालन में सहायक हैं। देवता, प्रजापति और प्रजा सभी इनकी कृपा-दृष्टि से शील आदि उत्तम गुणों से सम्पन्न होकर सुखी हो जाते हैं।
इनके हाथ में कमल है और गजों ने जल से भरे कलशों द्वारा इन्हें स्नान कराया है। श्री कमला (KAMALA) के विपरीत असुर श्रीहीन हो जाते हैं। उन्हें इनकी ज्येष्ठा धूमावती नष्ट कर देती हैं।
कमला ध्यान (KAMALA DHYAN)
इनके चार हाथों में वर और अभयमुद्रा तथा दो कमल स्थित है। इनके भाल पर रत्न मुकुट है और यह कमल पर स्थित हैं।
कमला मंत्र (KAMALA MANTRA)
- श्रीं
- श्रीं कमलायै नमः
भगवती कमला (KAMALA) की पूजा जपादि करने के लिए उपरोक्त मंत्रों में से किसी एक मंत्र का चुनाव कर सकते हैं।