षोडशी – ललिता (SHODASHI LALITA) : यह देवी कालिका की ही भाँति सिद्धियों की दात्री हैं और इनकी कृपा से ही साधकों को प्रायः सिद्धि मिला करती है। इन्हें श्री विद्या भी कहते हैं।
मूलतः आदि-भवानी के अनन्त नाम तथा स्वरूप हैं, परन्तु इनका परम तेजस्वी रूप तथा अभिन्न परिचय केवल इतना है कि आद्य महादेवी अपने दो भेदों से प्रकट होती हैं जो कि श्यामवर्णा तथा रक्त वर्णा है।
श्यामवर्णा होकर यही देवी काली तथा रक्त वर्णा होकर यही महाविद्या षोडशी कहलाती हैं।
षोडशी – ललिता (SHODASHI LALITA)
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Shodash-Lalita |
एक समय की बात है कि अगस्त्य मुनि समस्त पीठों का दर्शन करने हेतु निकले तो मध्य मार्ग में उन्होंने असंख्य जीवों को दुख से कातर होकर जीवन यापन करते हुये देखा। उनकी दुःखद स्थिति को देखकर उनके हृदय में करुणा का उदय हुआ।
अपने अगले पडाव में काँचीपुर नामक स्थान पर उन्होंने महाविष्णु की तपस्या करके उन्हें प्रसन्न किया, जिस कारण वह प्रत्यक्ष हुये। उन्हें संतुष्ट एवं प्रसन्न जानकर मुनि ने कहा-“प्रभु! जगत में समस्त जीव दुःख से व्याकुल होकर जीवन व्यतीत कर रहे हैं। कृपया उनके उद्धार का उपाय कीजिये।“
मुनि के शब्द सुनकर महाविष्णु ने उन्हें एक स्थूल प्रतिमा प्रदान की तथा उसके विषय में भी उन्हें बताया। इसका सविस्तार महात्म्य प्रकट करने के लिए उन्होंने अपने अंशभूत हयग्रीव को नियुक्त किया, जिसने उन्हें भण्डासुर की कथा सुनाई। जिसने विशेष तपोबल से शिव के द्वारा वरदान प्राप्त किया था। तत्पश्चात वह एक सौ पांच ब्रह्मांडों का स्वामी बन गया था।
षोड्शी के प्रधान स्थान तीन हैं जो अपनी स्थिति के अनुंसार एक तांत्रिक त्रिकोण बनाते हैं। इनका स्थान कामगिरी, जालन्धर-पीठ तथा पूर्णागिरी है। इस भॉति से बनने वाले त्रिकोण के मध्य में उड्डीश है।
हमारे देश में कामाक्षी (कांचीपुर), भ्रामरी (मलय), कुमारी (केरल), अम्बा (गुजरात), महालक्ष्मी (करवीर), कालिका (मालव), ललिता (प्रयाग), विंध्यवासिनी, विशालाक्षी (काशी), मंगल चण्डी (गया), सुन्दरी (बंगाल) तथा गह्येश्वरी (नेपाल) नामक सिद्ध स्थल (देवी के प्रमुख बारह श्री विग्रह) भक्तों की अभिलाषाए पूर्ण करती हैं। षोडशी – ललिता (SHODASHI LALITA)
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षोडशी मंत्र | SHODASHI MANTRA
माँ षोडशी का ह्रदय में ध्यान करने के उपरांत निम्नलिखित मन्त्रों में से किसी एक मंत्र का श्रध्दा पूर्वक जप करने से भगवती साधक का कल्याण करती हैं।
षोडशी मंत्र | SHODASHI MANTRA:-
- ऐं क्लीं सौः
- ऐं सौः क्लीं
- क्लीं ऐं सौः
- क्लीं सौः ऐं
षोडशी ध्यानम् | SHODASHI DHYAN
विद्याक्ष माला सुकपाल मुद्रा राजत् करां,
कुन्द समान कान्तिम्।
मुक्ता फलालंकृति शोभितांगी,
बालां स्मरेद् वांड़मय सिद्धि हेतो।।
भजेत् कल्प वृक्षाध उद्दीप्त रत्नासने,
सनिष्षण्णां मदाघूर्णिताक्षीम्।
कर्रैबीज पूरं कपालेषु चापं,
स पाशांकुशां रक्त वर्णं दधानम्।।
व्याख्यान मुद्रामृत कुम्भ विद्यामक्ष,
स्रजं सन्दधतीं कराग्रैः।
चिद्रूपिणीं शारद चन्द्र कान्तिं,
बालां स्मरेन्नौक्तिक भूषितांगीम्।।
जय माँ षोडशी – ललिता (SHODASHI LALITA)
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