Bhuvaneshwari-Kavach |
भुवनेश्वरी कवच | Bhuvaneshwari Kavach:-
पातकं दहनं नाम कवचं सर्व्वकामकम्।
श्रृणु पार्व्वति वक्ष्यामि तव स्नेहात्प्रकाशितम्।।
श्री शिव जी बोले- हे पार्वती! पातक दहन नामक भुवनेश्वरी का कवच कहता हॅू। सुनो। इसके द्वारा सब कामना पूर्ण होती है। तुम्हारे प्रति स्नेह के कारण इसको व्यक्त करता हूॅ।
पातकं दहनस्यास्य सदाशिव ऋषिः स्मृतः।
छन्दोअनुष्टुप देवता च भुवनेश्वरी प्रकीर्त्तिता।
धर्मार्थकाममोक्षेषु विनियोगः प्रकीर्त्तितः।।
इस कवच के ऋषि सदाशिव, छन्द अनुष्टुप, देवता भुवनेश्वरी और धर्मार्थ, काम एवं मोक्ष के निमित्त इसका विनियोग है।
ऐं बीजं मे शिरः पातु ह्रीं बीजं वदनं मम्।
श्रीं बीजं कटिदेशन्तु सर्वांग भुवनेश्वरी।
दिक्षु चैव विदिक्ष्वीयं भुवनेश्वरी सदावतु।।
ऐं मेरे मस्तक की, ह्रीं मेरे मुख की, श्रीं मेरे कमर की और भुवनेश्वरी मेरे सर्वांग की रक्षा करें। क्या दिशा, क्या विदिशा सर्वत्र भुवनेश्वरी ही मेरी रक्षा करें।
अस्यापि पठनात्सद्यः कुबेराअपि धनेश्वरः।
तस्मात्सदा प्रयत्नेन पठेयुर्म्मानवा भुवि।।
इस कवच को पढ़ने के प्रसाद से कुबेर जी धनाधिपति हैं। अतएव साधकों को इसका सदा पाठ करना चाहिए।
(भुवनेश्वरी कवच | Bhuvaneshwari Kavach)
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