जनसंख्या का लगभग 40 प्रतिशत भाग हर समय शनि के शुभ/अशुभ प्रभाव में रहता है। 12 में से तीन राशियों को शनि की साढ़ेसाती प्रभावित करती है तो दो राशियों को शनि की ढैय्या। इस प्रकार 12 में से 5 राशियों को शनि हर समय प्रभावित करता है।
Shani Ki Sadhe Sati |
एक भ्रांति जो आपके मन में समाई है कि शनि बुरा ही बुरा करता है यह सही नहीं है। वास्तव में शनि मनुष्य को संघर्ष करवाता है, अत्यधिक परिश्रम करवाता है और इसी को व्यक्ति शनि का दोष, अशुभ प्रभाव समझता है। शनि न्यायप्रिय हैं, अतः जो व्यक्ति न्याय के रास्ते पर, सत्य के रास्ते पर चलते हैं, उसी से अपनी जीविका चलाते हैं उन्हें शनि पीड़ित नहीं करता और जब व्यक्ति घोर संघर्ष करता है तो उसे उपलब्धियां अवश्य प्राप्त होती है।
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शनि की साढ़े साती क्या है
जब भी शनि भ्रमण करते हुए आपकी राशि से द्वादश (बारहवां) आ जाएगा तब आपको शनि की साढे़साती आरम्भ हो जाएगी। यह साढ़ेसाती का पहला चरण होगा। जब शनि आपकी राशि पर आ जाएगा तब आपको साढ़ेसाती का दूसरा चरण आरम्भ होगा और जब शनि आपकी राशि से अगली राशि में चला जाएगा तब आपको साढ़ेसाती का तीसरा चरण आरम्भ होगा।
शनि का ढैय्या क्या है
जब भी शनि भ्रमण करते हुए आपकी राशि से चतुर्थ या अष्टम (चौथे अथवा आठवें) स्थान में प्रवेश कर जाएगा तब आपको शनि का ढैय्या लगेगा। इस प्रकार एक ही समय में पांच राशियों को शनि की साढ़साती अथवा ढैय्या रहता है।
शनि की साढ़े साती का प्रभाव
साढ़ेसाती के प्रभाव में जातक को बहुत से बुरे अनुभवों से गुजरना पड़ता है। जातक स्वयं में हीनता अनुभव करता है। उदास खिन्न एवं अशांत रहता है। मानसिक चिन्ता बराबर बनी रहती है। जहां आर्थिक विषमता व अभाव उन्हें पीड़ित करते हैं, वहीं ना-ना प्रकार के रोग उन्हें घेरे रहते हैं। कष्टों से पलायन वह कर ही नहीं सकता। ऐसा शनि, धन व कुटुम्ब, परिवार के लिए भी हानिकारक रहता है।
जातक के अपने स्वभाव रीति-नीति, आचरण एवं व्यवहार के कारण घर व परिवार के लोग नाराज बने रहते हैं। फलतः परिवार विखराव की कगार पर आ जाता है। विघटन का दौर चलता है। जातक प्रायः कष्टमय जीवन यापन करता है तथा दूर-दूर तक व्यर्थ भटकावपूर्ण जीवन यापन करता है।
शनि, जातक की बुद्धि को भ्रमित व भ्रष्ट कर देता है। ’देख पराई चूपड़ी मन ललचावे जीव’ जैसी हालत हो जाती है। अपनी स्त्री को छोड़ वह परस्त्रीगामी हो जाता है। वह स्त्रियों का दलाल, वेश्यागामी व नेत्र रोगी होता है। शनि पर किसी शुभ ग्रह जैसे गुरु-शुक्र-बुध आदि की दृष्टि हो तो जातक ईश्वर भक्त, धार्मिक क्रिया कलापों में रत, देव-गुरु तथा अतिथि पूजक, साधुजनों की सत्संग करने वाला, सत्य आचरण, सत्य संभाषण करने वाला, दयालु एवं निर्मल हो जाता है। परन्तु दुर्भाग्य से शनि पर सूर्य-मंगल-राहु आदि पाप ग्रहों की दृष्टि हो तो पाप वृद्धि, दुष्ट कर्म और बढ़ जाते हैं। कुकर्मो से, अनिति से, गलत कार्यों से पापाचार से अर्थोपार्जन करता है एवं स्वयं का नाश करता है।
शनि की साढ़े साती के उपाय
- जब भी आप गेहूं पिसवाए तो उसमें थोडा सा कला चना मिला दें और हमेशा शनिवार को ही गेहूं पिसवायें। इस प्रयोग के करने से आप पर शनिदेव की कृपा बनी रहेगी।
- प्रत्येक शनिवार के दिन सूर्य ढल जाने के बाद पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दिया जलाएं और शनि मंत्र का १०८ बार जाप करने के बाद पुरे ह्रदय से शनि देव से अपने दुःख दूर करने हेतु प्रार्थना करें।
- शनिवार के दिन मीठा चावल बना लें और कौवों को खिलाएं।
- शनिवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करें। धुप दिखाएँ, हनुमान जी को लड्डू का भोग लगायें और कष्ट निवारण हेतु प्रार्थना करें।
- शनि की ढैय्या और साढ़ेसाती के निवारण के लिए शुक्रवार को रात में आठ सौ ग्राम तिल पानी में भिगो दें। शनिवार सुबह के समय उसमें गुड मिलकर पिस लें और आठ लड्डू बना लें। इन लड्डुओं को काले घोड़े को खिला दें। यदि काला घोड़ा ना मिले तो किसी भी घोड़े को खिला दें। पूरे आठ शनिवार यह प्रयोग करें और साथ में शनि मंत्र का जाप १०८ बार प्रतिदिन करें।
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