वास्तु शास्त्र (VASTU SHASTRA) से करें वास्तु दोष का निवारण एवं पायें सुखी जीवन

वास्तु शास्त्र (VASTU SHASTRA) के अनुसार ”वास्तु” शब्द का अर्थ है- निवास करना। जिस भुमि पर मनुष्य निवास करता है, उसे ”वास्तु” कहा जाता है। वास्तु शास्त्र में गृहनिर्माण सम्बन्धी नियमों का प्रतिपादन किया गया है।

उनका पालन करने से मनुष्य को अन्य कई प्रकार के लाभों के साथ-साथ आरोग्य लाभ भी होता है।

वास्तु शास्त्र (VASTU SHASTRA) का विशेषज्ञ किसी मकान को देखकर यह बता सकता है कि इसमें निवास करने वाले लोगों को क्या-क्या रोग हो सकते हैं। यहाँ के निवासी किस तरह की समस्या से ग्रस्त हो सकते हैं।
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घर में यदि वास्तु दोष है, तो उसे ठीक करने के लिए उसमें तोड़-फोड़ अथवा घर के बनावट में परिवर्तन करके दोष निवारण किया जा सकता है, परन्तु इस प्रकार समय और धन दोनों का भारी नुकसान होगा।

अब प्रश्न यह है कि इस नुकसान को सहे बिना ही वास्तु दोष को कैसे दूर किया जाए? वास्तु शास्त्र (VASTU SHASTRA) के अनुसार वास्तु दोष को पूजा-अर्चना एवं विभिन्न प्रकार के तांत्रिक प्रयोगों से दूर किया जा सकता है।

वास्तु शास्त्र (VASTU SHASTRA) के अनुसार वास्तु दोष के लक्षण

  • भवन में रहने वाले व्यक्तिओं में प्रायः कोई न कोई बीमार रहता है।
  • घर के सदस्यों में प्रायः अनबन तथा झगड़े होते रहते हैं। 
  • खाने की चीजों का प्रायः अभाव रहता है।
  • लड़की के विवाह में कठिनाई आ रही हो।
  • रसोई घर उत्तर पूर्व कोने में हो।
  • दक्षिण पूर्व कोण यानी आग्नेय कोण में नलकूप, भूमिगत टंकी या सेप्टिक टैंक हो। 
  • यदि आपके मकान का जल चारो तरफ से ढलक कर बीच की ओर आ रहा हो।
  • अशुभ एवं खतरनाक चीजें दीवारों पर लगी हो। 
  • घर में बरामदा नहीं है।
  • ब्रह्मस्थान में सीढियाँ व ईशान कोण में गैरेज का निर्माण हुआ हो। 
  • यदि आपका प्लाट दो बड़े प्लाट के बीच का है। 

वास्तु शास्त्र (VASTU SHASTRA) के अनुसार वास्तु दोष का निवारण

मकान तो ईंट, गारे, सीमेंट, पत्थर का होता है, लेकिन घर प्यार, शांति संतोष का होता है।

यदि व्यक्ति अपने घर से बाहर शांति से रह रहा हो और ज्यों ही अपने घर में आता है और वहाँ उसे गृह कलह, अशांति का वातावरण मिलता है तो समझ लेना चाहिए कि आपके घर में वास्तु दोष है।

वास्तु शास्त्र (VASTU SHASTRA) में वर्णित कुछ प्रयोग यहाँ दिये जा रहे हैं, जिसे अपनाकर आप वास्तु दोष से बच सकते हैंः-
  • एक गोमती चक्र और तीन कौड़ियों को एक साथ बांधकर दुकान के दरवाजे पर लटकाया जाय तो दुकान का या व्यवसायिक प्रतिष्ठान का वशीकरण हो जाता है और अकस्मात ही उस स्थान पर ग्राहकों की भीड़-भाड़ दिखाई देने लगती है।
  • घर के मुख्य दरवाजे पर घोड़ की नाल को शनि मंत्र से अभिमंत्रित करके लटकाने से घर में किसी प्रकार के नकारात्मक शक्ति का प्रवेश नहीं होता है।
  • साल भर में एक या दो बार किसी शुभ दिन यज्ञ एवं हवन जरूर करवायें।
  • घर में श्रीयंत्र स्थापित करें एवं श्रीसूक्त का नियमित पाठ करें।
  • अमावस्या के दिन नारियल या कद्दू को मकान पर से फेर कर घर के बाहर फोड़ दें।
  • नित्य प्रतिदिन शुद्ध होकर रामरक्षा पाठ या हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  • नये मकान में प्रवेश करने से पहले वास्तु शांति जरूर करवा लें।
  • अगर हो सके तो अपनी सामर्थ्य अनुसार नवचंडी पाठ भी करवायें।
  • अपने इष्ट के चरणों में नारियल अर्पित कर उसी नारियल को पूजा में रखकर नित्यरूप से उसका पूजन करें। यदि संभव हो तो एकाक्षी नारियल रखें।इस प्रकार वास्तु शास्त्र (VASTU SHASTRA) का प्रयोग करके वास्तुदोष से मुक्ति पाया जा सकता है और घर में स्थित अशांति एवं कलह को दूर कर प्रेम एवं सद्भाव का प्रवाह किया जा सकता है।

    दोस्तों अक्सर यह देखने में आता है की लाख कोशिशों के बाद भी हम कितना भी समस्याओं से बचने का प्रयास करते हैं पर बच नहीं पाते हैं। ऐसा लगता है को कोई तो शक्ति जरुर है, जो हमें किसी न किसी प्रकार प्रभावित करती रहती है।

इसलिए इसमें कोई शक नहीं है है की वास्तु शास्त्र (VASTU SHASTRA) में कही गयी बातें सत्य हैं।

4 thoughts on “वास्तु शास्त्र (VASTU SHASTRA) से करें वास्तु दोष का निवारण एवं पायें सुखी जीवन”

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