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कालसर्प योग (KALSARP YOG) : एक भयंकर पीड़ादायक मृत्यु योग

Author: Tantrik Rahasya | On:15th Jan, 2021| Comments: 0

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Kalsarp Yog
कालसर्प योग (KALSARP YOG) एक भयानक पीड़ादायक योग है जो व्यक्ति के जीवन को अत्यन्त दुखदायी बना देता है।
उस व्यक्ति के जीवन में किसी न किसी महत्वपूर्ण वस्तु का अभाव बना ही रहता है। चाहे वह व्यक्ति पूर्व प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू हो अथवा विश्व के बेहद चर्चित बिगबुल हर्षद मेहता। इस योग ने सभी को कष्ट दिया है।
काल का दूसरा नाम मृत्यु है और सर्प का अर्थ सर्व विदित है। सांप का काटना, सर्पदंश मुत्यु का पर्याय है। जब सभी ग्रह, राहू-केतु को छोड़कर राहु-केतु के मध्य आ जायें अर्थात सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि सभी ग्रह राहु से केतु के मध्य आ जायें तब कालसर्प योग (KALSARP YOG) की सृष्टि होती है। ध्यान रहे राहु-केतु सदैव वक्री ही चलते हैं।
इस योग के लिए आवश्यक है कि उक्त सभी ग्रह राहु से केतु के मध्य हों, केतु से राहु के मध्य नहीं। राहु को अंग्रेजी में ड्रेगन्स हैड व केतु को ड्रेगन्स टेल कहा जाता है। राहु, मीन से कुंभ, कुंभ से मकर, मकर से धनु राशि की ओर ही गतिमान होगा।

सूर्य के दोनों ओर ग्रह रहने पर वेली, वसी और उभयचारी योग बनते हैं। चंद्र के दोनों ओर ग्रह होने पर अनफा, सुनफा, दुर्धरा और केमद्रुम योग बनते हैं।
शनि के साथ चंद्र हो तो विष योग बनता है। चंद्र के साथ राहु हो तो ग्रहण योग बनता है। इस तरह राहु-केतु के इर्द-गिर्द सभी ग्रह हों तो जो योग बनता है, उसे कालसर्प योग  (KALSARP YOG) कहने में आपको आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
कालसर्प योग जिनके कुण्डली में होता है, ऐसे व्यक्ति को अपने जीवन में काफी संघर्ष करना पड़ता है। इच्छित और प्राप्त होने वाली प्रगति में रूकावटें आती हैं। बहुत ही विलम्ब से यश प्राप्त होता है। मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक रूप से व्यक्ति परेशान होता है।
कालसर्प योग (KALSARP YOG) पीड़ित जातक दुर्भाग्य से छुटकारा पाने के लिए भौतिक उपायों का सहारा लेता है। बार-बार प्रमाणिक और युक्ति संगत प्रयास करने पर भी सफलता न मिलने पर अंतिम उपाय के लिए उसका ध्यान ज्योतिष शास्त्र की ओर आकर्षित होता है।
अपनी जन्मपत्री में वह दोष ढ़ूढ़ता है। जन्म पत्री में कौन-कौन से कुयोग हैं? पूर्व जन्मकृत सर्पश्राप, पितृश्राप, भ्रातृ श्राप, ब्रह्म श्राप इत्यादि श्रापों में से कोई श्राप तो उसकी कुण्डली में नहीं है? इसके लिए ज्योतिषी से पूछताछ करता है।
विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान, शुभकर्म भी फलदायी क्यों नहीं हो रहा है? इसका पता लगाने की कोशिश करता है, तब उसे स्पष्ट रूप से उसकी कुण्डली में दिखाई देता है- कालसर्प योग।

Table of Contents

    • कालसर्प योग (KALSARP YOG) के दुष्परिणाम भयंकर होते हैं
    • कालसर्प योग (KALSARP YOG) किसी भी भाव से बन सकता है जैसे-
  • वास्तु दोष एवं इसके निवारण हेतु टोटके
  • दुर्गा साधना मंत्र | एक बार अवश्य करें- जिंदगी बदल जायेगी
  • धर्म कहता है – स्त्री को अपने अंगो का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए

कालसर्प योग (KALSARP YOG) के दुष्परिणाम भयंकर होते हैं

  • विभिन्न प्रकार के दैहिक व मानसिक कष्ट भोगने पड़ते हैं। स्वास्थ्य प्रायः बिगड़ा रहता है।
  • पैतृक सम्पत्ति उसके जीवन में नष्ट हो जाती है या पैतृक सम्पत्ति उसे नहीं मिलती। मिलती भी है तो आधी-अधूरी।
  • भाइयों का जातक को सुख नहीं मिलता। कार्य व्यवसाय में भाई बन्धु धोखा देते हैं।
  • जन्म स्थान से दूर जाकर जीविकोपार्जन करता है। भूमि-भवन का सुख नहीं मिलता।
  • शिक्षा भरपूर लेकर भी उसका जीवन में उपयोग नहीं हो पाता।
  • संतान से कष्ट पाता है। संतान निकम्मी व चरित्रहीन होती है।
  • आजीवन जातक संघर्ष करता है। शत्रु भय निरन्तर बना रहता है।
  • गृहस्थ जीवन सुखी नहीं रहता। गृहकलह पीड़ा देता है। पत्नी मनोनुकूल नहीं मिलती।
  • भाग्य कभी साथ नहीं देता।
  • दुःस्वप्न एवं अनिद्रा का रोग पाल लेता है।
  • कोर्ट कचहरी एवं थाने का चक्कर लगाना पड़ता है। धन का नाश होता है। विश्वासघात का दण्ड भोगना पड़ता है।
  • अतृप्त आत्माओं के कारण जातक कष्ट उठाता है।
  • घर में प्रिय से प्रिय व्यक्ति का वियोग सहना पड़ता है।
  • संतान का विवाह उचित समय पर उचित जगह नहीं होता।
  • घर का कोई प्राणी अकाल मृत्यु को प्राप्त होता है।
  • पत्नी बार-बार गर्भक्षति के कारण दैहिक एवं मानसिक पीड़ा भोगती है।

 

  • कार्य व्यवसाय में यदि दीवाला निकल जाए तो आश्चर्य नहीं।
  • जातक धर्म-कर्म हीन होता है।
  • वह विपत्ति में सबके काम आता है परन्तु विपत्ति में उसके कोई काम नहीं आता।

 

कालसर्प योग (KALSARP YOG) किसी भी भाव से बन सकता है जैसे-

  • जब सभी ग्रह लग्न से सप्तम भाव के मध्य हों।
  • जब सभी ग्रह द्वितीय से अष्टम भाव के मध्य हों।
  • जब सभी ग्रह तृतीय से नवम भाव के मध्य हों।
  • जब सभी ग्रह चतुर्थ से दशम भाव के मध्य हों।

     

    • जब सभी ग्रह पंचम से एकादश भाव के मध्य हों।
    • जब सभी ग्रह षष्ठ से द्वादश भाव के मध्य हों।

     

    कालसर्प योग (KALSARP YOG) से ग्रसित व्यक्ति अपने जीवन में किसी न किसी अभाव से पीड़ित अवश्य होगा। जीवन भर वह व्यक्ति उन्नति एवं अवनति के झूले में झुलता रहेगा। कई बार उन्नति के शिखर पर दिखायी देगा तो कई बार अवनति के गहरी खाई में दिखाई देगा।
    कालसर्प योग एक दुर्योग है तथा उसका निवारण, निराकरण अथवा शान्ति करवा लेना भी परम आवश्यक हो जाता है।
    कालसर्प योग (KALSARP YOG) को लेकर जन-सामान्य में अनेक भ्रांतियां हैं। इस योग की शान्ति के लिए आये दिन धूर्त ज्योतिषियों द्वारा कई प्रकार से पैसा ठगने की बात सामने आती है। जबकि उस जातक को कालसर्प योग होता ही नहीं। अतः सचेत रहें।
    यह भी पढ़ें-

    वास्तु दोष एवं इसके निवारण हेतु टोटके

    दुर्गा साधना मंत्र | एक बार अवश्य करें- जिंदगी बदल जायेगी

    धर्म कहता है – स्त्री को अपने अंगो का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए

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