तांत्रिक वस्तुएं (TANTRIK ITEMS) : व्यवसाय बंधन मुक्ति का बेजोड़ समाधान

tantrik items, तांत्रिक वस्तुएं
Tantrik Items
Tantrik Items
तांत्रिक वस्तुएं (TANTRIK ITEMS) : अक्सर बड़े-बड़े तांत्रिक अपनी तंत्र से सम्बंधित सिद्धियों को सरलता से प्राप्त करने के लिए या किसी विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए तांत्रिक वस्तुओं का गुप्त रूप से प्रयोग करते हैं।

चाहे किसी का वशीकरण करना हो, किसी शत्रु का नाश करना हो या किसी का उच्चाटन करना हो, ये तांत्रिक वस्तुएं अपना तत्काल प्रभाव दिखाती हैं।

तंत्र के क्षेत्र में विशेष रूप से प्रयोग होने वाली कुछ महत्वपूर्ण तांत्रिक वस्तुओं (Tantrik Items) का  विवरण यहाँ दिया जा रहा है-

हत्था जोड़ी

वास्तव में हत्थाजोड़ी एक जड़ी है। यह पौधे की जड़ है। इस हत्थाजोड़ी का तांत्रिक प्रयोगों में बहुत अधिक महत्व है। हत्थाजोड़ी पौधे की जड़ में इसकी दो शाखाएं फैली रहती हैं, इसलिए इसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि सचमुच के दो हाथ हों।

सियार सिंघी

सियार के सिर पर एक गांठ पाई जाती है जिसे सियार सिंघी कहते हैं। यह सभी सियारों के सिर पर नहीं पायी जाती है। यह किसी-किसी सियार के सिर पर ही पायी जाती है। यह बादामी रंग के मुलायम बालों से आवरित होती है।

बिल्ली की नाल

बिल्ली बच्चे देने के बाद अपने बच्चों के साथ-साथ एक झिल्ली भी बाहर छोड़ देती है, जिसे वह बच्चे देने के बाद तुरन्त ही खा जाती है।

कई तांत्रिक इस बिल्ली की झिल्ली को बिल्ली के खाने के पहले ही अपने कब्जे में कर लेते हैं। इस झिल्ली को ही बिल्ली की नाल कहा जाता है। यह तांत्रिक प्रयोगों में बहुत काम आती है।

सियार सिंघी, हत्थाजोड़ी एवं बिल्ली की नाल के प्रयोग से लाभ

  • व्यापार में लाभदायक सिद्ध होती है।
  • अकारण हानि से बचाव करती है एवं दुर्घटना से भी बचाव करती है।
  • रुका हुआ, खोया हुआ अथवा दिया हुआ धन पुनः प्राप्त हो जाता है।
  • व्यक्ति पर तांत्रिक प्रयोग आसानी से कार्य नहीं कर पाता।
  • व्यवसाय बन्धन प्रयोग काम नहीं करता है।
सियार सिंघी, हत्थाजोड़ीबिल्ली की नाल को एक डिब्बी में शुद्ध सिंदूर भरकर अपने दुकान या फैक्टरी के गुल्लक अथवा घर में पूजा स्थान पर रख दें एवं नित्य अगरबत्ती करें।

कुछ दिनों में आपके व्यवसाय में प्रगति होनी शुरू हो जाएगी एवं व्यवसाय अथवा घर की सारी बाधाएं स्वतः ही दूर होती चली जाएंगी।

दक्षिणावर्त्त शंख

दक्षिणवर्ती शंख समुद्र से पैदा होता है, जहां से लक्ष्मी का प्रादुर्भाव हुआ था। इस दृष्टि से एक ही पिता की सन्तान होने की वजह से दक्षिणवर्ती शंख लक्ष्मी का ही छोटा भाई कहलाता है। अतः जो व्यक्ति इस शंख का विधि-विधान से प्रयोग करता है, उस घर में लक्ष्मी का अभाव रह ही नहीं सकता।

संसार में जितने भी शंख पाये जाते हैं, वे बायीं तरफ से खुले हुए होते हैं। ऐसे शंख तो बहुतायत में देखने को मिल जाएंगे। परन्तु बहुत ही कम शंख ऐसे होंगे जो दायीं तरफ से खुले हुए हो।

दायीं ओर से खुले शंख को ही विशेष महत्व दिया गया है। इस प्रकार के शंख दक्षिणावर्ती शंख कहलाता है। किसी भी प्रकार के प्रयोग के लिए दक्षिणवर्ती शंख कम से कम इतना बड़ा हो कि उसमें 250 ग्राम से आधा लीटर पानी अवश्य आ जाये।

दक्षिणवर्ती शंख को जहां तक सम्भव हो चांदी के पात्र में चावल भरकर उस पर विराजमान कराना चाहिए। पात्र के नीचे लाल वस्त्र बिछा दें। दक्षिणवर्ती शंख का प्रयोग केवल लक्ष्मी प्राप्ति में ही सहायक नहीं है बल्कि रोग नाशक प्रयोग में भी इसका विशेष महत्व है।

एकाक्षी नारियल

नारियल शब्द से तो आज संसार अच्छी तरह से परिचित है। सामान्यतः नारियल के प्रत्येक फल पर से रेशा (जटा) उतारने के बाद, टहनी की ओर तीन काले बिन्दु दिख पड़ते हैं।

मान्यता है कि इनमें से दो बिन्दु नेत्रों के प्रतीक हैं और एक मुख का। गौर से देखें तो नारियल का गोला मानवाकृति से बहुत कुछ मिलता-जुलता होता है, परन्तु जो एकाक्षी नारियल होगा उसमें दो नेत्रों की जगह एक नेत्र व एक मुख होगा।

एकाक्षी नारियल के लाभ

  • एकाक्षी नारियल लक्ष्मी का साक्षत स्वरूप माना जाता है।
  • वेद-पुराणों में लिखा है कि जिसके घर में एकाक्षी नारियल स्थापित हो वहां से लक्ष्मी जा ही नहीं सकती।
  • व्यक्ति के भाग्योदय में प्रबल सहायक है एकाक्षी नारियल।
  • एकाक्षी नारियल स्थायी सम्पत्ति में सहायक होता है।
  • इसे सुंघाने मात्र से स्त्री गर्भ के कष्ट से मुक्ति पा लेती है तथा सरलता से प्रसव होता है।
  • जिस घर में एकाक्षी नारियल हो, वहां तांत्रिक प्रभाव असर नहीं करता।
  • शुद्ध प्राण प्रतिष्ठित एकाक्षी नारियल का ही उपयोग करें।

स्फटिक शिवलिंग

एकदम साफ, स्वच्छ, असली स्फटिक शिवलिंग अत्यन्त दुर्लभ है। यह शिवलिंग अपने पास होना ही भाग्यशाली की निशानी है। स्फटिक शिवलिंग के पूजन से हर प्रकार के दुखों का नाश हो जाता है।

सालीग्राम शिवलिंग

यह अद्भुत शिवलिंग गंडकी नदी में पाया जाता है। इसकी विशेषता है कि इस शिवलिंग को कान के पास हिलाने पर इसमें से पानी की आवाज आती है। शनि दोष निवारण के लिए एवं तांत्रिक दोष निवारण के लिए यह शिवलिंग अत्यन्त उपयोगी है।

श्वेतार्क गणपति

हिमालय के तराई प्रदेश में आक का एक छोटा सा पौधा पाया जाता है। राजस्थान में भी आजकल यह पौधा यत्र-तत्र दिखाई देता है। राजस्थान के बाड़मेर शहर में भी एक स्थान पर सफेद आक के बहुत से पेड़ देखने को मिलते हैं।

सफेद आक के पौधे की जड़ को यदि सावधानी पूर्वक निकाला जाय और जड़ की ऊपरी परत कई दिन तक पानी में भिगोए रखने के बाद सावधानी पूर्वक उखाड़ी जाय तो जड़ पर गणेशजी का उभरा हुआ चित्र दिखलाई देगा। तंत्र के क्षेत्र में इसे श्वेतार्क गणपति कहते हैं।

श्वेतार्क गणपति के लाभ

  • रोग नष्ट होकर स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  • व्यक्ति के चेहरे पर ओज उत्पन्न होता है।
  • वशीकरण कार्यों में सहायक है।
  • सौभाग्य वृद्धि में सहायक है।
  • श्वेतार्क गणपति गृह रक्षा में सहायक है।

रुद्राक्ष

रुद्राक्ष भगवान शंकर की एक अद्भुत अमूल्य और चमत्कारपूर्ण देन है। लक्ष्मी प्राप्ति के पांच कल्पों में से एक कल्प एक मुखी रुद्राक्ष है। जो साधक एक साथ भोग और मोक्ष की इच्छा रखते हों, उन्हें यह कल्प अवश्य ही करना चाहिए।

एकमुखी रुद्राक्ष प्रायः नेपाल, इंडोनेशिया में पाया जाता है। एकमुखी रुद्राक्ष धारण करने से निम्न लाभ मिलते हैं-

  • एकमुखी रुद्राक्ष साक्षात लक्ष्मी का प्रतीक है।
  • एकमुखी रुद्राक्ष धारण करने से स्वास्थ्य में सुधार आता है।
  • रुद्राक्ष माला धारण कर धर्म प्रेमी मनुष्य आध्यात्म में उन्नति कर सकता है।
  • एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने से सांसारिक दुखों का नाश होता है।
  • एकमुखी रुद्राक्ष ब्रह्मस्वरूप होता है।
  • दोमुखी रुद्राक्ष अर्धनारिश्वर स्वरूप होता है। इसको धारण करने से अर्धनारिश्वर भगवान प्रसन्न होते हैं।
  • तीनमुखी रुद्राक्ष अग्नि स्वरूप होता है। इसके धारण करने से अग्निदेव की कृपा प्राप्त होती है। शरीर और वाणी के तेज में वृद्धि होती है।
  • चारमुखी रुद्राक्ष ब्रह्म का रूप है। इसके धारण करने पर ब्रह्मा प्रसन्न होते हैं।
  • पांचमुखी रुद्राक्ष पंचदेव स्वरूप होता है। इसको धारण करने वाला हत्या के दोष से मुक्त हो जाता है।
  • छः मुखी रुद्राक्ष कार्तिकेय स्वरूप होता है। इसके धारण करने से बुद्धि, आरोग्यता और लक्ष्मी प्राप्त होती है।
  • सातमुखी रुद्राक्ष सप्तऋषि स्वरूप होता है। इसके धारण करने से आरोग्यता के साथ महाश्री और ज्ञान-संपत्ति की प्राप्ति होती है।
  • आठमुखी रुद्राक्ष नवशक्ति स्वरूप होता है। इसके धारण करने से अष्टवसु प्रसन्न होते हैं।
  • नौमुखी रुद्राक्ष नवशक्ति स्वरूप होता है। इसके धारण करने से नवशक्तियां प्रसन्न होती हैं।
  • दसमुखी रुद्राक्ष यम स्वरूप होता है। इसके धारण करने से ग्रह दशाएं शांत होती हैं।
  • ग्यारहमुखी रुद्राक्ष रुद्र स्वरूप होता है। इसके धारण करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है तथा तंत्र बाधा से मुक्ति मिल जाती है।
  • बारहमुखी रुद्राक्ष महाविष्णु स्वरूप होता है। इसके धारण करने से द्वादश आदित्य प्रसन्न होते हैं।
  • तेरहमुखी रुद्राक्ष कामदेवता स्वरूप होता है। इसके धारण करने से यौन शक्ति में वृद्धि होती है। कामना पूर्ति एवं सिद्धियों के प्राप्ति के लिए भी इसको धारण किया जाता है।
  • चौदहमुखी रुद्राक्ष रूद्र देवता हैं। इसके धारण करने से सर्वव्याधि निवृत्ति पूर्वक आरोग्य सिद्धि होती है।
  • गौरी शंकर रुद्राक्ष : कई बार दो रुद्राक्ष जुड़े हुए होते हैं। इन्हें शिव और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। यह रुद्राक्ष दाम्पत्य सुख प्राप्ति में विशेष लाभकारी है।

दोस्तों तांत्रिक वस्तुएं (Tantrik Items) बहुत ही शक्तिशाली होती हैं। यदि इन वस्तुओं को मन्त्रों से सिद्ध कर लिया जाए तो ये साधक के जीवन को सफलताओं से सजा सकती हैं। हर मनोकामना को पलक झपकते पूरा कर सकती हैं।

तांत्रिक वस्तुएं (Tantrik Items) तभी कामयाब होती हैं, जब इन्हें सिद्ध कर लिया जाए। योग्य गुरु के देख-रेख में इन चमत्कारी तांत्रिक वस्तुओं की सिद्धि करनी चाहिए तथा जीवन में कभी भी इन सिद्धियों का दुरूपयोग नहीं करना चाहिए।

दुरूपयोग करने से इनकी शक्ति नष्ट हो जाती है और साधक का भी अनिष्ट हो जाता है।

यह भी पढ़ें

यंत्र 

6 thoughts on “तांत्रिक वस्तुएं (TANTRIK ITEMS) : व्यवसाय बंधन मुक्ति का बेजोड़ समाधान”

  1. Pingback: तांत्रिक रहस्य | Tantrik Rahasya » तांत्रिक रहस्य

  2. Pingback: दस महाविद्या स्तोत्र | DASH MAHAVIDYA STOTRA » तांत्रिक रहस्य

  3. Pingback: कमला कवच | KAMALA KAVACH » तांत्रिक रहस्य

  4. Pingback: दश महाविद्या उपासना | DASH MAHAVIDYA UPASANA » तांत्रिक रहस्य

  5. Pingback: महाविद्या कवच | Mahavidya Kavach » तांत्रिक रहस्य

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

x
Scroll to Top