त्रिपुर भैरवी कवच | TRIPUR BHAIRAVI KAVACH

त्रिपुर भैरवी कवच | TRIPUR BHAIRAVI KAVACH

भैरवी कवचस्यास्य सदाशिव ऋषिः स्मृतः।
छन्दोऽनुष्टुब् देवता  च भैरवी भयनाशिनी।
धर्मार्थकाममोक्षेषु विनियोगः प्रकीर्त्तितः।।

भैरवी कवच के ऋषि सदाशिव, छन्द अनुष्टुप, देवता भयनाशिनी भैरवी और धर्मार्थ काम, मोक्ष की प्राप्ति के लिए इसका विनियोग कहा गया है।
Bhairavi Kavach, Bhairavi Sadhana, Bhairavi Mantra
TRIPUR BHAIRAVI KAVACH
हसरैं मे शिरः पातु भैरवी भयनाशिनी।
हसकलरीं नेत्रंच हसरौश्च ललाटकम्।
कुमारी सर्व्वगात्रे च वाराही उत्तरे तथा।
पूर्व्वे च वैष्णवी देवी इन्द्राणी मम दक्षिणे।
दिग्विदिक्षु सर्व्वत्रैव भैरवी सर्व्वदावतु।
इदं कवचमज्ञात्वा यो जपेद्देविभैरवीम्।
कल्पकोटिशतेनापि सिद्धिस्तस्य न जायते।।

“हसरैं” मंत्र रूपी देवी मेरे मस्तक की, “हसकलरीं” मंत्र रूपी देवी मेरे नेत्र की, “हसरौः” मंत्र रूपी देवी मेरे ललाट की और कुमारी मेरे गात्र की रक्षा करें। वाराही उत्तर दिशा में, वैष्णवी पूर्व दिशा में, इन्द्राणी दक्षिण में तथा भैरवी दिशा-विदिशा में सर्वत्र सदा मेरी रक्षा करें।

इस कवच को बिना जाने जो कोई भैरवी मंत्र का जप करता है, सौ करोड़ कल्प में भी उसको सिद्धि प्राप्त नहीं हो सकती।
त्रिपुर भैरवी कवच | TRIPUR BHAIRAVI KAVACH

।। इति श्री त्रिपुर भैरवी कवच सम्पूर्णं ।।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top