इस आसन से शरीर के सभी अंगों का व्यायाम हो जाता है, इसलिए इस आसन को सर्वांगासन कहते हैं। इस आसन से शरीर के सम्पूर्ण अंगों को बल मिलता है।
सर्वांगासन, शीर्षासन के जैसे ही दिखलाई पड़ता है किन्तु इसमें शरीर का मुख्य भार गर्दन, कन्धों तथा भुजाओं पर होता है। शारीरिक स्वास्थ्य की दृष्टि से यह आसन सर्वोत्तम है।
इस आसन से मस्तिष्क, फेफड़े, हृदय रक्त धमनियों एवं शिराओं को बल मिलता है। रक्त शुद्ध होता है एवं आंख, कान, गले और हृदय के समस्त विकार दूर हो जाते हैं।
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सर्वांगासन करने की विधि
सर्वांगासन करने के लिए भूमि पर दरी या कम्बल बिछाकर पीठ के बल लेटकर दोनों हाथों को बगल में धड़ से सटाकर रखें। तत्पश्चात दोनों पैरों को मिलाकर ऊपर की ओर उठायें। 30 डिग्री तथा 60 डिग्री के कोणों पर किंचित रुकते हुए लगभग समकोण पर उन्हें लाएं।
इसके पश्चात कुहनियों को मोड़कर हाथों से पीठ को सहारा देते हुए धड़ को ऊपर की ओर उठाकर लम्बवत स्थिति में लाएं। धड़ का भार गर्दन तथा कन्धों पर हो। ठोड़ी वक्ष को स्पर्श कर रही हो। सांसों को सामान्य रखें तथा कम से कम 5 मिनट इस आसन को करें।
अभ्यास के बाद हाथों को पीठ से हटाकर धड़ को भूमि पर पूर्व स्थिति में लाकर हाथों को भी पुनः बगल में धड़ से सटाकर रखना चाहिए।
सर्वांगासन करने के लिए नीचे दिये चित्र का अनुसरण करें-
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सर्वांगासन |
सर्वांगासन करने के लाभ
सर्वांगासन करने के अनेक लाभ हैंः-
- इस आसन से रक्त प्रवाह सिर की ओर होने से मस्तिष्क की शक्ति तथा नेत्रों की ज्योति बढ़ती है।
- इससे रक्त शोधन होता है जिससे रक्त-विकृतियों की सम्भावनाएं समाप्त हो जाती हैं।
- शुद्ध रक्त के संचार से हृदय तथा फेफड़े पुष्ट होते हैं।
- आन्त्र-शोथ तथा आन्त्र वृद्धि में यह आसन विशेष लाभप्रद होता है।
- कब्ज दूर हो जाने से पाचन-क्रिया ठीक तथा नियमित हो जाती है।
- गर्दन तथा कन्धों में दृढ़ता आती है।
- मेरुदण्ड में लचीलापन आता है।
सर्वांगासन करते समय सावधानियां
सर्वांगासन करते समय निम्न सावधानियां बरतनी चाहिए।
- सर्वांगासन करते समय सिर पूर्व दिशा में रखें।
- टांगों को उठाते समय धैर्य रखें। कोई भी झटका आपके कंधों एवं पीठ की किसी नस को चढ़ा सकता है। वर्टिब्रेट कॉलम पर भी असर पड़ सकता है।
- सर्वांगासन तोड़ते समय टांगों को झुकाकर पहले पीठ भूमि से लगायें और सावधानी से पैरों को नीचे लाएं। जल्दबाजी ना करें अन्यथा गर्दन की हड्डी पर प्रभाव पड़ सकता है, जो खतरनाक भी हो सकता है।
सर्वांगासन में ध्यान
सर्वांगासन कुंडलिनी के ध्यान के लिए अत्यन्त उपयुक्त है। मेरुदण्ड के निचले हिस्से से ऊर्जा ग्रहण करके मस्तिष्क में पहुंचाने का ध्यान भी इसमें किया जाता है।
सर्वांगासन में ध्यान लगाने से शरीर को ऊर्जा प्राप्त होती है। मस्तिष्क के विचार एवं विकार शान्त होते हैं। प्रफुल्लता एवं आनन्द की प्राप्ति होती है।