तानासन (ताड़ासन) करने की विधि और लाभ

तानासन (ताड़ासन) समग्र शारीरिक स्वास्थ्य तथा शक्ति हेतु एक अत्यन्त उत्तम आसन है। इस आसन को करने में शरीर की मुद्रा ताड़ के वृक्ष के समान हो जाती है, इसलिए इसे ताड़ासन भी कहा जाता है।

इस आसन का कम से कम तीन से चार बार अभ्यास करना चाहिए। यह आसन अत्यन्त सरल होते हुए भी शारीरिक संकुचन को दूर करने हेतु एक महत्वपूर्ण आसन है।

तानासन (ताड़ासन) करने की विधि

तानासन (ताड़ासन) करने के लिए किसी दरी या कम्बल पर सीधा खड़ा होना चाहिए। पैर के दोनों एड़ियों को 45 डिग्री के कोण पर रखें। अब लम्बी सांस लेते हुए पैर के पंजों के बल खड़े होते हुए और पूरे शरीर को तानते हुए दोनों हाथों को ऊपर की ओर ले जाएं।

सांस रोकते हुए जितनी देर सरलता से रह सकते हैं, रहिए। तत्पश्चात सांस छोड़ते हुए हाथों को नीचे लाएं और एड़ियों को भूमि पर टिकाकर आसन खोल दें।

तानासन (ताड़ासन) करने के लिए नीचे दिये चित्र का अनुसरण करें-

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तानासन (ताड़ासन)

तानासन (ताड़ासन) करने के लाभ

तानासन (ताड़ासन) का नियमित अभ्यास करने से शारीरिक कुंठा तथा संकुचन आदि दूर हो जाते हैं। रक्त संचार की प्रक्रिया नियमित हो जाती है। समग्र स्वास्थ्य तथा शक्ति में अक्षुण्णता आती है। मनोमालिन्य दूर हो जाता है तथा चित्त प्रसन्नता से अभिभूत हो जाता है।

तानासन (ताड़ासन), स्त्री एवं पुरुष के शरीर की लम्बाई बढ़ाने और मोटापा दूर करने के लिए भी अत्यन्त उत्तम है। इसके अतिरिक्त यह आसन कमर दर्द, सायटिका, सर्वाइकल स्पोन्टीलाइट्स आदि रोगों को ठीक कर देता है।

तानासन (ताड़ासन) करते समय सावधानियां

तानासन (ताड़ासन) को करते समय ध्यान रहे कि आपका मुंह दक्षिण दिशा की ओर न रहे।

आसन करते समय शरीर का संचालन धीरे-धीरे करें।

तानासन (ताड़ासन) में ध्यान

तानासन (ताड़ासन) में ध्यान लगाने से बहुत ही अच्छा लाभ मिलता है। सिद्धि प्राप्त करने के लिए इस आसन में ध्यान लगाना उपयुक्त होता है।

 

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