उत्थित पादासन करने की विधि और लाभ

उत्थित पादासन पैरों, कमर, गुर्दे तथा पेट के लिए बहुत ही अच्छा आसन है। यह आसन सरलता से किया जा सकता है। इस आसन का विशिष्ट बात यह है कि इसमें पैरों को नब्बे डिग्री पर कमर से मोड़कर रखा जाता है जिसमें पैर घुटनों से मुड़ना नहीं चाहिए। इस आसन को अभ्यास के जरिये आसानी से एवं देर तक किया जा सकता है एवं इसके अद्भुत लाभों को प्राप्त किया जा सकता है।

उत्थित पादासन करने की विधि

पृथ्वी पर दरी या कोई मोटा वस्त्र बिछाकर उस पर पीठ के बल लेटकर दोनों पैरों को मिलाकर धीरे-धीरे 90 डिग्री के कोण पर ऊपर की तरफ उठाना चाहिए। हथेलियों को नीचे करके दोनों हाथों को बगल में भूमि पर रखना चाहिए।

सांसों को सामान्य रखना चाहिए तथा इसी स्थिति में लगभग एक मिनट तक रहना चाहिए। धीर-धीरे अभ्यास के साथ समय बढ़ा सकते हैं। इस आसन का कम से कम तीन बार अभ्यास करना चाहिए।

उत्थित पादासन करने के लिए नीचे दिये चित्र का अनुसरण करें-

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उत्थित पादासन

उत्थित पादासन करने के लाभ

उत्थित पादासन करने से कमर, गुर्दे तथा कूल्हों आदि में पुष्टता आती है। पाचन शक्ति के बढ़ जाने से पाचन क्रिया नियमित रहती है। रक्त शोधन तथा संचार की क्रियायें ठीक ढ़ंग से चलती है।  कमर एवं पेट की चर्बी कम हाने लगती है।

उत्थित पादासन करते समय सावधानियां

  • उत्थित पादासन करते समय सिर उत्तर दिशा के तरफ न रखें।
  • पैरों को ऊपर नब्बे डिग्री पर उठाते समय जल्दबाजी ना करें। यदि सतर्कता से इस आसन को नहीं किया जाएगा तो कमर दर्द हो सकता है। जिसे रीढ़ की हड्डी में दर्द की शिकायत हो, वह उत्थित पादासन अपने डाक्टर के सलाह पर ही करे।

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