पवनमुक्तासन, पेट की प्रदूषित वायु के निष्कासन हेतु पीठ के बल लेटकर किया जाने वाला उत्तम आसन है। यह आसन अन्य आसनों की अपेक्षा सरल एवं करने में आसान है। परन्तु आप ज्यादा मोटे हैं या आपका पेट कुछ ज्यादा ही बाहर निकला है तो यह आसन करने में आपको थोड़ा दिक्कत हो सकती है।
इस आसन के द्वारा अपान वायु से शरीर को मुक्त किया जाता है। वस्तुतः इसिलिए इस आसन को पवनमुक्तासन कहते हैं।
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पवनमुक्तासन करने की विधि
पवनमुक्तासन करने के लिए दरी या कम्बल बिछाकर पीठ के बल चित्त लेट जाइए। दोनों टांगों को सीधा फैला लीजिए। दोनों हाथों को बगल में शरीर के समानान्तर कर लीजिए।
अब हाथों पर बल देते हुए दायीं टांग को सीधा ऊपर की ओर उठाइये। फिर दाईं उठी हुई टांग को घुटने से मोड़िये। हाथों की उंगलियों को कैच बनाकर मुडे़ हुए घुटने को पकड़िये। रेचक करते हुए कुम्भक लगाइए। अब घुटने को नीचे की ओर दबाते हुए छाती से लगाइए। अब गर्दन को ऊपर उठाते हुए अपनी नाक को घुटनों से लगाइए। जितनी देर तक सांस रोककर सफलतापूर्वक इस स्थिति में रह सकते हैं, रहिए।
आसन को तोड़ने के लिए पहले गर्दन को नीचे करके सिर को भूमि से टिकाइये। घुटनों को छोड़कर टांगों को फैला लीजिए। इसी अभ्यास को टांगों की स्थिति बदल-बदल कर चार से पांच बार करिये।
पवनमुक्तासन करने के लिए नीचे दिये चित्र का अनुसरण करें-
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पवनमुक्तासन |
पवनमुक्तासन करने के लाभ
पवनमुक्तासन करने से पेट की अपान वायु बाहर निकल जाती है। पेट हलका हो जाता है, कब्ज दूर होता है, पेट की चर्बी एवं मोटापा दूर होता है। रीढ़ की हड्डी (कमर के जोड़) मजबूत एवं लचीले होते हैं।
गर्दन की हड्डी मजबूत होती है। पवनमुक्तासन फेफड़े एवं हृदय के विकारों को भी दूर करता है। यह आसन मुख्यतः उदर तथा आंतों के शुद्धीकरण का कार्य करता है जिससे पाचन क्रिया सुचारु एवं नियमित रूप से चलती है।
पवनमुक्तासन में ध्यान
पवनमुक्तासन नासिका में ध्यान लगाने का उत्तम आसन है। मूलाधार चक्र पर भी इसमें ध्यान लगाया जाता है।
पवनमुक्तासन करते समय सावधानियां
- पवनमुक्तासन करते समय यह ध्यान रखें कि आपका सिर उत्तर दिशा की तरफ न हो।
- इस आसन को करते समय पेट एवं शरीर को ढीला रखें।