यंत्र | YANTRA

यंत्र (YANTRA) : मनुष्य चाहता है कि हर पग पर उसे सफलता मिले, जीवन का पूर्ण आनन्द प्राप्त हो, खुशियां ही खुशियां मिलें और इसी के लिए वह दिन-रात मेहनत करता है।

लेकिन लाख परिश्रम के बाद भी उसके हाथ जब असफलता और दुख आता है, तब मनुष्य विचलित हो जाता है और अपने भाग्य को कोसने लगता है।

तंत्र-मंत्र और यंत्रों की साधनाओं से मनुष्य अपने बिगड़े भाग्य को भी बदल सकता है क्योंकि इन साधनाओं की शक्तियां बड़ी दिव्य एवं अकाट्य होती हैं।

साधना का क्षेत्र बहुत ही विस्तृत है। जिस प्रकार तंत्र साधना और मंत्र साधना की सहायता से मनुष्य कुछ भी कर सकता है, उसी प्रकार यंत्र साधना से भी वह अपने जीवन को सुखमय एवं शांतिमय बना सकता है।

वास्तव में यंत्र साधना, तंत्र मार्ग का ही एक विशिष्ट विधा है, जिसमें देवता की प्रतिमा के जगह उस देवता के यंत्र (YANTRA) की पूजा की जाती है।
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YANTRA

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यंत्र (YANTRA) क्या है

यंत्र (YANTRA) की रचना का आधार शुद्ध आकृति विज्ञान पर आधारित है। आकृति, रेखाओं के एक विशिष्ट समायोजन का नाम है। हमारी आंखों पर आकृति का फौरन प्रभाव होता है।

यंत्र विद्या की जो आकृतियां हैं, उनका भी हमारे मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इसी विज्ञान की आधारशिला पर हमारे महर्षियों ने यंत्रों की रचना की। यंत्र की पूजा, यंत्र से संबंधित देवताओं की पूर्ण पूजा एवं आह्वाहन है।

एक विशिष्ट क्रम से तथा विशिष्ट मंत्र द्वारा किसी देवता का ध्यान करने से उस देवता का यंत्र साधकों को स्थूल रूप से अन्तरिक्ष में दृष्टिगोचर होता है और यही जड़, चैतन्य अथवा सिद्ध होने पर देवता के साकार रूप में परिणित हो जाता है।

देवता का यह रूप वैसा ही होता है, जैसा कि देवता के ध्यान मंत्र में वर्णित होता है। मानव शरीर इस विशाल ब्रह्माण्ड की प्रतिमूर्ति है।

कहा गया है- यत् पिण्डे, तत् ब्रह्माण्डे। अर्थात जितनी शक्तियां अथवा विभूतियां इस समस्त विश्व का संचालन करती हैं, वे सभी सूक्ष्म रूप से मानव शरीर में विद्यमान हैं। यहाँ संक्षेप में विभिन्न देवताओं के यंत्र एवं उनके महत्व को बताया जा रहा है-

श्रीयंत्र (SHRIYANTRA)

विश्व भर में सुविख्यात श्रीयंत्र भगवती त्रिपुर सुन्दरी का यंत्र है। इसे यंत्रराज भी कहा गया है। इस यंत्र में ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति तथा विकास दिखलाए गये हैं। साथ ही यह यंत्र मानव शरीर का भी द्योतक है।

श्रीयंत्र (SHRI YANTRA) अपने आप में अत्यन्त श्रेष्ठ है और आर्थिक उन्नति तथा भौतिक सुख-सम्पदा के लिए तो इससे बढ़कर इस संसार में कोई यंत्र ही नहीं है।

श्रीयंत्र तथा श्रीसूक्त का पारस्परिक घनिष्ठ सम्बन्ध है। अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए श्रीयंत्र के समक्ष नित्य श्रीसूक्त का पाठ करना चाहिए।

कनकधारा यंत्र (KANAKDHARA YANTRA)

कनकधारा यंत्र (KANAKDHARA YANTRA) के रचयिता जगद्गुरु शंकराचार्य हैं। इस यंत्र की साधना करने पर मनुष्य के दुखों का नाश हो जाता है, घर में फैली दरिद्रता का नाश हो जाता है।

आज के भौतिकवादी युग में प्रत्येक मनुष्य की मांग केवल धन है। यदि आप बेरोजगार हैं या कई प्रकार के व्यवसाय करके हार चुके हैं अथवा गृहस्थ जीवन में आर्थिक अभाव को लेकर प्रतिकूलता है तो कनकधारा यंत्र आपके लिए विशेष फलदायी है।

इस यंत्र में कुछ ऐसी विशेषता है कि यह स्वयं ही गृहस्थ को अनुकूलता की ओर अग्रसर करता है।

अर्थोपार्जन की कुछ ऐसे रास्तों का निर्माण करता है, जिस पर चलकर साधक या गृहस्थ अल्प समय में ही अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति में सफलता प्राप्त कर लेता है। मुख्य रूप से कनकधारा यंत्र पैतृक सम्पत्ति की प्राप्ति में सहायक है।

सर्वतोभद्र यंत्र (SARVATOBHADRA YANTRA)


जीवन के चहुँमुखी विकास के लिए सर्वतोभद्र यंत्र (SARVTOBHADRA YANTRA) का प्रयोग किया जाता है।

यह यंत्र विपत्ति का नाश करने वाला है, यदि आपका व्यवसाय में पैसा कहीं रुक गया है या किसी को दिया है तो पुनः प्राप्त करने के लिए यह यंत्र लाभदायक है। इस यंत्र की बनावट बहुत ही सुन्दर है तथा यह शुद्ध ताम्रपत्र पर उत्कीर्ण होता है।

मंगल यंत्र (MANGAL YANTRA)

जैसा कि इस यंत्र के नाम से ही ज्ञात है कि यह चारों ओर मंगल करने वाला है। मुख्यतः यह यंत्र भूमि एवं भवन के विवादों को हल करने के काम में आता है।

यदि आपकी जमीन का विवाद चल रहा है, यदि आपकी जमीन पर गैरकानूनी तरीके से किसी ने कब्जा कर रखा है तो इस प्रकार के मामलों के समाधान में मंगल यंत्र (MANGAL YANTRA) का प्रयोग किया जाता है।

ऋणमुक्ति के लिए भी मंगल साधना की जाती है। इस यंत्र का प्रयोग विवाह आदि में गतिरोध निवारण के लिए भी प्रयोग किया जाता है। मंगली जाति के जातकों के कल्याण के लिए भी मंगल यंत्र की साधना की जाती है।

नवग्रह यंत्र (NAVGRAH YANTRA)

ज्योतिष शास्त्र में वर्णित नौ ग्रहों के आधार पर नवग्रह यंत्र (NAVGRAH YANTRA) की पूजा एवं साधना होती है।

इस यंत्र से यदि आप पर किसी ग्रह का कुप्रभाव पड़ रहा है अथवा घर में अशांति है तो नवग्रह यंत्र की पूजा-आराधना से विशेष लाभ होता है। नवग्रहों का यंत्र एक साथ एक ही ताम्रपत्र पर उत्कीर्ण करके उसकी साधना की जा सकती है।

वशीकरण यंत्र (VASHIKARAN YANTRA)

वशीकरण एक प्राचीन विद्या है। यह वह उपाय है जिससे मनुष्य किसी को भी अपने अनुकूल कर सकता है तथा अपना मनचाहा कार्य उससे करवा सकता है।

आजकल प्रत्येक व्यक्ति यह चाहता है कि वह किसी न किसी को वशीभूत करके अपना कार्य निकाल सके। यदि आप किसी व्यक्ति, स्त्री को अपनी ओर आकर्षित करना चाहते हैं तो वशीकरण यंत्र (VASHIKARAN YANTRA) की साधना करके आप सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

देव्यानुग्रह यंत्र (DEVYANUGRAH YANTRA)

आपने प्रायः माँ दुर्गा के फोटो के नीचे एक त्रिकोण यंत्र अवश्य देखा होगा। यह दुर्गा बीसा यंत्र है। यह माँ दुर्गा की शक्ति का प्रतीक यंत्र है। जिस प्रकार महालक्ष्मी का यंत्र श्रीयंत्र है, उसी प्रकार माँ जगदम्बा का यंत्र यह देव्यानुग्रह यंत्र (DEVYANUGRAH YANTRA) अर्थात दुर्गा बीसा यंत्र है।

यदि आप माँ देवी की आराधना करना चाहते हैं एवं उनकी कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो इससे श्रेष्ठ प्रयोग नही है। यह अत्यंत प्रभावी यंत्र है जिसकी साधना करने पर देवी कृपा प्राप्त होती है।

रोग नाशक यंत्र (ROG NASHAK YANTRA)

आज के युग में प्रायः व्यक्ति किसी न किसी रोग से ग्रसित है। कई प्रकार के उपचार करने पर भी व्यक्ति रोग से छुटकारा नहीं पाता। ऐसे में व्यक्ति मजबूर होकर बाबाओं, तांत्रिकों एवं मांत्रिकों के चक्कर में फस जाता है।

वह यह भूल जाता है कि देवाराधना से हर प्रकार की कठिनाइयों को दूर किया जा सकता है। यदि व्यक्ति रोग नाशक यंत्र (ROG NASHAK YANTRA) का प्रयोग करे तो निश्चित ही वह भयंकर से भयंकर रोग से निजात पा सकता है।

संतान गोपाल यंत्र (SANTAN GOPAL YANTRA)

प्रायंः देखा गया है कि किसी-किसी दम्पति की सन्तान होती नहीं है अथवा होती भी है तो मृत पायी जाती है या फिर केवल कन्याएं हीं जन्म लेती हैं।

ऐसे में व्यक्ति पुत्र प्राप्ति के लिए कई मन्दिरों में मन्नतें मांगता है तथा कई उपवास एवं पूजाएं करता है परन्तु सफलता प्राप्त नहीं होती है।

यदि व्यक्ति सन्तान गोपाल यंत्र (SANTAN GOPAL YANTRA) साधना करता है तो निश्चित ही उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।

कात्यायनी यंत्र (KATYAYANI YANTRA)

प्रायंः देखा जाता है कि माता-पिता में तनाव इसी बात का होता है कि उनकी सन्तान के विवाह में अड़चनें आ रही हैं। विवाह की आयु होने पर भी विवाह नहीं हो रहा है।

विवाह की बात चलने पर भी कहीं सगाई पक्की नहीं हो रही है अथवा होकर भी शादी नहीं हो पाती, तो ऐसे में कन्या या लड़के को कात्यायनी यंत्र (KATYAYANI YANTRA) का प्रयोग करना चाहिए।

महामृत्युंजय यंत्र (MAHAMRITYUNJAY YANTRA)

महामृत्युंजय यंत्र (MAHAMRITYUNJAY YANTRA) की साधना व्यक्ति को मृत्यु के मुख से भी खींच लाने में सक्षम है।

अकाल मृत्यु, अकाल भय से मुक्ति दिलाने में सहायक है महामृत्युंजय यंत्र। यदि व्यक्ति बहुत गंभीर बीमारी से गुजर रहा है तो इस यंत्र पर सवा लाख महामृत्युंजय मंत्र के जप से रोग नष्ट हो जाता है।

गणेश यंत्र (GANESH YANTRA)

हमारे वेदों में प्रथम आराध्य देव गणेश हैं जो ऋद्धि-सिद्धि के दाता हैं। हर शुभ कार्य में गणपति की आराधना की जाती है।

श्री गणेश यंत्र की साधना से व्यक्ति को धन की प्राप्ति होती है एवं अष्ट सिद्धि एवं नव निधि प्राप्त होती है। यदि आप पर किसी प्रकार का संकट आन पड़ा तो इस यंत्र की साधना से वह संकट टल जाएगा।

यदि आप कोई मकान, दुकान, आफिस या व्यवसायिक प्रतिष्ठान ले रहे हैं तो सर्वप्रथम गणेश यंत्र (GANESH YANTRA) वहां स्थापित करें, इसके बाद ही वहां निवास करें या कार्य आरम्भ करें।

गायत्री यंत्र (GAYATRI YANTRA)

गायत्री को वेदों की जननी कहा जाता है। आधुनिक युग में जितने भी महात्मा, विद्वान और महापुरुष हुए हैं वे सभी गायत्री की उपासना से ही गुणी एवं विद्वान बने हैं।

यदि बुद्धिजीवी, तपस्वी, तेजस्वी, प्राणस्वरूप, पाप नाशक, सुख स्वरूप, दिव्य रूप वाले बनना चाहते हैं तो गायत्री उपासना अवश्य करें। गायत्री उपासना में गायत्री यंत्र आपके एवं आराध्य देव के बीच माध्यम का कार्य करता है।

बेरोजगार व्यक्तिओं को कुश के आसन पर बैठकर 40 दिन तक निरन्तर गायत्री यन्त्र (GAYATRI YANTRA) की साधना करने पर रोजगार प्राप्त करने में सफलता अवश्य मिलती है।

सरस्वती यंत्र (SARSWATI YANTRA)

आप सभी जानते हैं कि सरस्वती को विद्या की देवी कहा जाता है। प्राचीन काल में बच्चे पाठशाला में सर्वप्रथम सरस्वती वंदना करते थे, तत्पश्चात पढ़ाई की जाती थी।

यदि व्यक्ति की बुद्धि मंद है, शिक्षा प्राप्त करने में कठिनाई उत्पन्न हो रही है अथवा आप किसी प्रतियोगिता की तैयारी कर रहे हैं तो ऐसे में विशेष सहायक है सरस्वती यंत्र (SARASWATI YANTRA)। स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए भी इस यंत्र का प्रयोग किया जाता है।

पंचान्गुली यन्त्र (PANCHNGULI YANTRA)


यदि किसी व्यक्ति को भविष्य में अच्छे योग और आर्थिक लाभ की जानकारी पूर्व में ही मिल जाए तो व्यापारी पड़ा खतरा मोल ले सकता है और हजारों के लाभ को लाखों के लाभ में बदल सकता है।

यदि आप भी अपने भविष्य में झांकना चाहते हैं तो पंचान्गुली यन्त्र (PANCHNGULI YANTRA) का नित्य पूजन करें।

कुण्डलिनी यंत्र (KUNDALINI YANTRA)

आपने अपने जीवन में ऐसे व्यक्ति को अवश्य देखा होगा जिसमें पहले कोई विशिष्टता नहीं थी लेकिन अचानक उसमें बहुत भारी परिवर्तन हो गया। उस व्यक्ति में अद्भुत तेज, शक्ति, गुण आदि दिखाई देने लगे।

चमत्कारिक आभा मण्डल दिखाई देने लगा, उसके बोल प्रभावशाली लगने लगा। क्या कोई चमत्कार हो गया….। शायद आप नहीं जानते कि उस व्यक्ति की कुण्डलिनी जाग्रत हो चुकी है। कुण्डलिनी को जगाने के अनेकों उपाय में से एक कुण्डलिनी यंत्र की साधना भी है।

कुण्डलिनी यंत्र (KUNDALINI YANTRA) की साधना करके आप अपने कुण्डलिनी को जगा सकते हैं।

पुरुषाकार शनि यंत्र (SHANI YANTRA)

शनि देव यदि किसी मनुष्य पर प्रसन्न हो जाय तो उस व्यक्ति की जिंदगी ही संवर जाती है। उस व्यक्ति को अपयश छू भी नहीं सकता, अपार भौतिक सुख-साधनों से सम्पन्न हो जाता है। वहीं यदि शनि रुष्ट हो जाए तो व्यक्ति को दर-दर का भिखारी बना देता है।

प्रतिकूल शनि के प्रभाव को शांत करने के लिए, शनि साढेसाती, शनि ढैया दोष निवारण के लिए इस विशिष्ट तांत्रिक शनि यंत्र (SHANI YANTRA) की नित्य पूजा किया जाता है।

अष्टलक्ष्मी यंत्र (ASHTALAXMI YANTRA)

यदि आप अपनी आर्थिक स्थिति को लकर परेशान हैं, धन प्राप्त होता है किन्तु जल्द ही वापस चला जाता है, आपके जीवन में भाग्य बाधा होती है या जिसके जीवन में आर्थिक उन्नति नहीं हो पाती है, उसके लिए अष्टलक्ष्मी यंत्र (ASHTALAXMI YANTRA) स्वतः ही अनुकूल, भाग्योदयकारक एवं श्रेष्ठ धन प्रदायक है।

लक्ष्मी आठ प्रकार कही होती है- धन लक्ष्मी, यश लक्ष्मी, आयु लक्ष्मी, वाहन लक्ष्मी, स्थिर लक्ष्मी, गृह लक्ष्मी, सन्तान लक्ष्मी और भवन लक्ष्मी। इस एक यंत्र के द्वारा ही आप इन आठों लक्ष्मियों को प्राप्त कर सकते हैं।

बगलामुखी यंत्र (BAGALAMUKHI YANTRA)

बगलामुखी प्रयोग भारत की प्राचीन एवं दश महाविद्याओं में से एक है। कलियुग में तो इसका प्रभाव पग-पग पर देखा जा सकता है। महारुद्र की महाशक्ति बगला है।

वैदिक शब्द ’वल्गा’ का विकृत रूप ’बगला’ बन गया है। इसका सीधा सम्बन्ध प्राणी की अथर्वा सूत्र से है। जिसके सहयोग से मारण, मोहन, उच्चाटन आदि अभिचार प्रयोग किये जा सकते हैं। बगलामुखी यंत्र की साधना से मनुष्य अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर सकता है।

इसके दिव्य प्रभाव के कारण ही तंत्र-मंत्र के क्षेत्र में इसे सर्वोपरि मान्यता मिलती रही है। योगियों, तांत्रिकों, मांत्रिकों ने इसकी भूरि-भूरि प्रशंसा की है।

शत्रुओं पर हावी होने, बलवान शत्रुओं के मान-मर्दन करने, भूत-प्रेतादि बाधा को दूर करने, हारते हुए मुकदमें में सफलता प्राप्त करने एवं समस्त प्रकार से उन्नति प्राप्त करने में बगलामुखी यंत्र (BAGALAMUKHI YANTRA) की साधना श्रेष्ठतम मानी गई है।
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