कटि चक्रासन मुख्य रूप से कमर का व्यायाम है। इस व्यायाम का मुख्य केन्द्र बिन्दु कमर है। कटि का अर्थ होता है कमर और चक्रासन का अर्थ है- चक्र के समान आसन। इस आसन में कमर को चक्र के समान घुमाया जाता है। इसी कारण इस आसन को कटि चक्रासन कहा जाता है।
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कटि चक्रासन करने की विधि
कटि चक्रासन करने के लिए सर्वप्रथम दरी या कम्बल का आसन बिछाकर उसपर सीधा खड़ा हो जाना चाहिए। तत्पश्चात दोनों हाथों को कन्धों के बराबर तथा गर्दन को सामने रखते हुए कमर को दाएं-बाएं चक्रवत घुमाना चाहिए।
इस आसन को कम से कम पांच बार करना चाहिए। कटि चक्रासन करने के लिए ऊपर दिये गये चित्र का अनुसरण करें। यह भी पढ़ें- हलासन करने की विधि और लाभ
कटि चक्रासन करने के लाभ
कटि चक्रासन करने से कमर का बहुत अच्छा व्यायाम हो जाता है। इस आसन से मुख्य रूप से कमर को लाभ पहुंचता है। कमर की सारी चर्बी गल जाती है और कमर पतली एवं सुडौल हो जाती है। इसके अतिरिक्त गुर्दों तथा पाचन संस्थान पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। इस आसन को करने से आंतों की विकृतियां दूर होती हैं।
कटि चक्रासन करते समय सावधानियां
- कटि चक्रासन करते समय ध्यान रहे कि आपका मुंह दक्षिण दिशा की ओर न रहे।
- इस आसन को करते समय कमर को धीरे-धीरे घुमाएं। जल्दीबाजी या अनुशासनहीनता से इस आसन को करने से कमर में दर्द की शिकायत हो सकती है। यह भी पढ़ें-वज्रासन करने की विधि और लाभ
कटि चक्रासन में ध्यान
कटि चक्रासन एक शारीरिक व्यायाम मात्र है। इस आसन में ध्यान लगाने की आवश्यकता नहीं है। कटि चक्रासन करने वाले व्याक्ति को बस इतना ध्यान रखना चाहिए कि कमर मोड़ते समय शरीर का बैंलेंस बना रहे अन्यथा गिर जाने का भय बना रहता है।
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